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Tuesday, July 21, 2020

मनोज बत्रा दवारा सम्पादित कविता-संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान "हेतू कवियत्री रेखा शर्मा "रुद्राक्षी "पुरस्कृत!-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर )

मनोज बत्रा दवारा सम्पादित कविता-संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान "हेतू कवियत्री रेखा शर्मा "रुद्राक्षी "पुरस्कृत!

20 जुलाई ,2020 .
राजपुरा (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ).

     रुद्राक्षी न्यूज़ -मैगज़ीन में प्रकाशित कविता-संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान" के लिए ,कवियत्री रेखा शर्मा"रुद्राक्षी " को "बर्बाद इंडिया "के मुख्य सम्पादक ,साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार मनोज बत्रा द्वारा पुरस्कृत किया गया!सम्मान-स्वरूप रेखा शर्मा को एक आध्यात्मिक विषय की पुस्तक भिजवाई गई !



     लगभग 100 कविताओं के इस बेहतरीन कविता-संग्रह में प्रेम के विरह ,दर्द,वेदना तड़प आदि  के प्रमुख रूप से "रुद्राक्षी "द्वारा अद्भुत चित्र उकेरे गए है!
      इसके अतिरिक्त सामाजिक ,धार्मिक और आध्यात्मिक आदि विषयों पर भी पर्याप्त कवितायेँ, ध्यान आकर्षित करती है !बलात्कार ,हिजड़ों की जिंदगी ,वैश्या की जिंदगी ,नारी की उपेक्षा और पर्यावरण आदि पर लिखी कवितायेँ नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है !
     नई दिल्ली निवासी रेखा शर्मा "रुद्राक्षी ",रुद्राक्षी न्यूज़-मैगज़ीन की चीफ एडिटर भी है !साथ ही वे समाज में कवियत्री ,लेखिका ,स्वतंत्र पत्रकार ,समाज-सेविका ,कौंसलर और फिल्म-निर्देशक आदि की भी भूमिका निभा रही है !



      रेखा शर्मा ने बताया कि इस कविता -संग्रह की प्रेरणा उन्हें प्रसिद्ध फिल्म गीतकार श्री गुलजार साहेब से मिली!
       रेखा शर्मा द्वारा लिखे कविता -संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान "की कंप्यूटर -सेटिंग और संपादन स्वयं एडिटर मनोज बत्रा द्वारा किया गया है !

रेखा शर्मा की कुछ कविताओं पर एक नज़र !

बेजुबान जीव का दर्द -

हां वो पिंजरा मेरा घर नहीं था
मैं उस पिंजरे का मेहमान था
मैं अपनी आज़ादी के लिए
लड़ नहीं पाया,
क्योंकि मैं बेजुबान था!           

अपराधियों के प्रति आक्रोश-

जला दो एक दो हैवानों को
जिन्दा शहर में,
फिर देखते है,
बेटियों पे कहर‌ ढायेंगा कौन ?

एक पत्नी का दर्द -

मैं तो तुम्हारी पत्नी हूँ न!
क्यों मुझे सताया जाता है?
तुम नहीं समझोगे
तो किससे अपनी बात कहुँ!
तुम नहीं सुनोगे
तो किससे अपने राज़ कहुँ!

नारी की उपेक्षा -

क्यूं आखिर क्यूं ,पुरुष- प्रधान को. हमारे वजूद का ठेकेदार बताया जाता है?
क्यूं हमारे एहसासों को हर बार दबाया जाता है?


धर्म के ठेकेदारों को नसीयत-

ढूंढो खोजों  बस खोया है इन्साफ कहीं!
बस खोया है ईमान कहीं!

(नोट :-यहाँ किन्ही कारणों से व्याकरण की अशुद्धियाँ है ,जिसका हमें खेद है !-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा )


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


रुद्राक्षी न्यूज़ -मैगज़ीन का लिंक -