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Sunday, September 6, 2020

दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता ! वैश्विक -शांति हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !



दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता !

वैश्विक -शांति  हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा  

      "तिब्बत हमारी हथेली है ,तो लद्दाख ,नेपाल ,भूटान ,अरुणाचल  और सिक्किम हमारी अंगुलियाँ है !"-सन 1950 में ,दक्षिण एशिया के संदर्भ में,चीन के तत्कालीन शासन -प्रमुख माओत्से तुंग की इस सार्वजनिक टिप्पणी के आते ही ,भारत को सतर्क हो जाना चाहिए था,किन्तु तब हम राग अलापते रहे -"चीनी -हिंदी ,भाई- भाई !"और सन 1962 में चीन ने ,भारत पर आक्रमण कर ,उसका 37000 वर्ग किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र,कब्जा लिया ,जिसे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ,संसद में भूमि का निर्जन टुकड़ा बताकर ,बात को 'आया राम ,गया राम' कर दिया था। इससे चीन की हिम्मत बढ़ी ,और उसने धीरे -धीरे ,लगातार भारतीय क्षेत्र पर ,बेखौफ अपना कब्ज़ा बढ़ाना जारी रखा और परिणाम-स्वरूप आज वाली स्थिति आ गई।



     आज वैश्विक कोरोना -संकट की जिम्मेदारी के, चीन व अमेरिका के बीच आरोप -प्रत्यारोप ,अत्यधिक मानवीय -हानि ,हर प्रकार के संकटों के माहौल में ,चीन को वैश्विक विरोध,बहिष्कार ,अविश्वास ,बदनामी और निर्यात पर टिकी चाइनीज अर्थव्यवस्था को बड़े -बड़े झटके सहन करने पड़ रहे है। चीन को घेरने और उस पर लगाम कसने हेतू ,चीन के खिलाफ वैश्विक -घेराबंदी को तेज किया जा रहा है !चीन के खिलाफ अमेरिका ,भारत -ऑस्ट्रेलिया -जापान संग 'नाटो' जैसा संगठन बनाने की तैयारी में है। पूर्व में ,1991 में अमेरिका ,तिब्बत की सरकार को मान्यता देकर, उसकी स्वतंत्रता का अनुमोदन कर चुका है। और सन 1960-61-65 में तीन बार, संयुक्त राष्ट्र संघ तिब्बतियों पर, चाइना के अमानवीय अत्याचारों की निंदा कर चुका है।



   
     निकट भविष्य में ,पूर्व में हुई भूलों में सुधार करते हुए ,भारत लेह में छोटे से कार्यालय में स्थित ,तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता देकर, फ्रांस ,ब्रिटेन,कनाडा,भूटान,ताइवान ,इंडोनेशिया ,अफगानिस्तान ,वियतनाम ,दक्षिणी कोरिया ,इजराइल आदि विश्व के देशों से ,इस मुद्दे पर समर्थन प्राप्त कर ,उनसे भी तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता दिलवा सकता है। ताइवान सरकार ने तो बिना मान्यता के भी ,भारत को सैन्य -सहायता देने को कहा है। ताजा घटना-क्रम में ,चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज करते हुए ,ताइवान ने उसके एक विमान को,अपने क्षेत्र में घुसने के कारण मार गिराया है।
     भारत द्वारा चीन के खिलाफ ,सन 1962 में गठित ,मेजर जनरल सुजान सिंह वाली,गुप्त फ़ोर्स 'स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स 'को फिर से मोर्चा सँभालने हेतू तैयार किया गया है। दुश्मन को मुँह -तोड़ जवाब देने हेतू भारतीय सेना को ,महाघातक राफेल और इंगला एयर डिफेंस सिस्टम से भी सुसज्जित किया गया है।अभी हाल ही में,भारत ने हाइपरसोनिक  मिसाइल -तकनीक  का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 



     भारत द्वारा चीनी -एप्स -प्रतिबंध ,चीन से आयातित माल पर ड्यूटी -वृद्धि और चीनी ठेकों को रद्द करने आदि से भी चीन बौखला गया है। ताजा घटना-क्रमानुसार ,500 चीनी-सैनिकों द्वारा ,पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी इलाके को कब्जाने की नाकाम कोशिश हुई। चीन अवैध कब्जों ,लगातार घुसपैठ आदि चालों से सीमा -विवाद को तनावपूर्ण बना रहा है और सैन्य व राजनयिक वार्ताओं को भी सिरे नहीं चढ़ा रहा है ।दोनों के बीच सीमा -विवाद समाप्त होने की संभावना ,दिनों-दिन नगण्य होती जा रही है।



      वर्तमान परिपेक्ष्य में , रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला के ये बयान महत्वपूर्ण मानें जा रहे है।

     मास्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के एक सम्मेलन में ,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि "क्षेत्रीय स्थायित्व ,शांति और सुरक्षा हेतू आक्रामकता ,एक -दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता ,मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान ,अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान,परस्पर विश्वास का माहौल प्रमुख पहलू है।" उन्होंने आगे अपने बयान में,आंतकवाद के खिलाफ संस्थागत क्षमता विकसित  करने और पारदर्शी व् समग्रता लिए, मर्यादित वैश्विक सुरक्षा ढांचे के विकास की वकालत की।




     भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने भी ,चीन को चेतावनी दे दी ,कि "सीमा पर शांति होने तक ,हमारे व्यापारिक -सम्बन्ध ,सामान्य रूप से नहीं चल सकते। भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता व सम्प्रभुता की रक्षा हेतू दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध है और इस पर कायम रहेगा। "उन्होंने आगे कहा की कि संकट के कठिन पलों में ,भारत  चीन से सैन्य व राजनयिक स्तर पर ,सम्पर्क  व संवाद बनाये हुए है।




     चाइना से भी कुछ सवाल किये जा  सकते है कि आखिर इतने बड़े वैश्विक -विरोध को चाइना कैसे झेल पायेगा !विश्व -बिरादरी के बिना चाइना जी सकेगा ?क्या अपने करोड़ों लोगों का पेट भर पायेंगा ?क्या तिब्बत आदि देशों की सम्प्रभुता को भंग करने का नैतिक अधिकार चाइना के  पास था ?

     चाइना को इस बात का डर,आशंका और समझ भी होनी चाहिए कि आम जनता ,सरकार की कुटिल नीतियों का कभी साथ नहीं देती ,उसे तो अपने जीवन से मतलब होता है !अपने परिवार के जीवन को बचाने के लिए ,ये सरकार का प्रबल और हिंसक विरोध तक कर डालते है !वैश्विक-आक्रमण की स्थिति में चाइना में ,भविष्य में गृह-युद्ध के हालात पैदा हो सकते है।

     खोई हुई वैश्विक-साख व शक्तिशाली देश का पुनः रुतबा पाने के लिए ,सुरक्षा -परिषद की स्थाई सदस्यता-निलंबन टालने के लिए ,विभिन्न देशों से द्विपक्षीय -सम्बन्ध बेहतर बनाने के लिए ,अंतर्राष्ट्रीय- न्यायालय में लगने वाले संभावित केस को ,कमजोर और उदार करने के लिए ,आज चाइना को वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,अपने अहंकार ,हवस ,साम्राज्यवादी ,बाज़ारवादी ,भोगवादी ,मानवता विरोधी और कुदरत विरोधी (कोरोना -संकट ) नीतियों में सुधार लाकर , यू -टर्न लेना होगा।  अब शांति -दूत के रूप में चाइना को नई भूमिका निभानी चाहिए। शांति -दूत बनकर,चाइना विश्व -बिरादरी को विश्वास दिलायें कि भविष्य में वो ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा ,जिससे वैश्विक -संकट उत्पन्न हो और विश्व के विभिन्न देशों के साथ ,उसके सम्बन्ध खराब हो !वर्तमान परिस्थितियों में ,चाइना के पास उक्त उद्देश्यों को पाने के लिए,उक्त रास्ते के अलावा कोई चारा नहीं है। बस, उसे कुछ तकलीफ दायक त्याग करने होंगे !युद्ध से वह कभी भी इन उद्देश्यों की पूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पायेंगा।




      वैश्विक -शांति-प्रयासों में पहल के तौर पर ,चाइना प्रभावित देशों की सम्प्रभुता बहाल करें और तिब्बत की जमीन से भी अपने पैर पीछे हटाकर ,तिब्बत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करें।सन 1962 के समय, भारत का 37000 वर्ग किलोमीटर एरिया चाइना ने कब्जा लिया था ,वह भी लौटा दें।ऐसा करने से भारत की विदेश -नीति  /तटस्थता की नीति प्रभावित नहीं होगी।




     अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने ,चाइना ये भी कह दे ,कि पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद करना होगा और कश्मीर-राग अलापना बंद करके, भारत से अपने रिश्तें सुधारने होंगें !ऐसे पाकिस्तान ,चाइना से डरकर ,भारत को परेशान करना बंद कर देगा !वैश्विक -शान्ति -प्रयासों में फिर चाइना की भी तारीफ़ होगी !

     चूँकि हर देश सैद्धांतिक रूप से आत्म -निर्भर होना चाहिए ,इसलिए चाइना के अनावश्यक निर्यात को नियंत्रित करने का,चाइना द्वारा विश्व को आश्वासन देना होगा।




     कोरोना -संकट से जूझ रहे ,विश्व के विभिन्न देशों और विश्व -स्वास्थ्य -संगठन को,और अधिक आर्थिक सहायता चाइना को देनी होगी।

     आज आवश्यकता है ,वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,वैश्विक -शांति के प्रयासों में ,वैश्विक -उदारता,सकारात्मक सोच और विश्व के लिए सद्बुद्धि और सदभावना की !रक्त -रंजित,भीषण संभावित तीसरे विश्व -युद्ध की विभीषिका से समस्त विश्व को बचाने ,सामान्य अवस्था में लाने और सुगमता से विकास की ऒर अग्रसर करने हेतू विश्व-बिरादरी को पिछला सब-कुछ भुलाना होगा।मजबूर विश्व के पास भी ,इसके अलावा कोई चारा नहीं है।

    निष्कर्षतः चाइना को जिद्द छोड़नी होगी। अपनी विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाना होगा। बच्चें कम पैदा करने होंगें या बच्चों की पैदाइश पर ,कुछ समय प्रतिबंध लगाना होगा। ताकि दूसरे की जमीन हड़पने की जरूरत ही न पड़े ! निर्वासित जीवन की कठिनाइयों और असीम दर्द -वेदना को समझना होगा। चाइना को ये भी समझना होगा कि वैश्विक -शांति में ही चाइना और विश्व का चंहुमुखी विकास संभव है !

  चाइना चूँकि महान शक्तिशाली है,जो चाहे फैसला लें। दुनिया को बर्बाद या आबाद करना ,अब चाइना के हाथ में है !अब देखना होगा, कि चालबाज समझे जाने वाला चीन, दुनिया को किस और धकेलता है !अब ईश्वर ही ,चाइना में विश्व हेतु सद्बुद्धि और सदभावना भर पाएं -ऐसी कामना है !




-मनोज बत्तरा



(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और 'बर्बाद  इंडिया न्यूज़' के मुख्य  संपादक  है!)



crownmanojbatra@gmail.com




चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



Monday, August 31, 2020

"किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !"-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा /बर्बाद इंडिया न्यूज़।

"धोनी के बिना भारतीय क्रिकेट !"-विषय /दैनिक ट्रिब्यून/ सम्पादकीय- पृष्ठ/ "जन -संसद "कॉलम 

"किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !"-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा /बर्बाद इंडिया न्यूज़। 

दिनांक -31 अगस्त ,2020 .  
चंडीगढ़ (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

     दैनिक ट्रिब्यून ,चंडीगढ़ के मुख्य संपादक श्री राज कुमार सिंह ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले महेंद्र सिंह धोनी ,क्रिकेट जगत में ऐसे कप्तान रहे है ,जिनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में सफलता की ऊंचाइयों को छुआ ! उनकी कप्तानी ने टीम को ,टेस्ट क्रिकेट में पहली बार नंबर एक बनाया !सही मायनों में ,धोनी की विदाई से क्रिकेट की दुनिया में ,एक करिश्माई युग का अंत हुआ !
     पूर्व में,दैनिक ट्रिब्यून द्वारा,अपने सम्पादकीय- पृष्ठ पर , "जन -संसद "कॉलम के अंतर्गत "धोनी के बिना भारतीय क्रिकेट "विषय पर प्रबुद्ध व विचारशील पाठकों और बुद्धिजीवियों से विचार आमंत्रित किये गए थे !

Happy Birthday MS Dhoni India s Captain cool turns 39 i know 10 facts about mahendra  singh dhoni - HAPPY B'DAY Mahi: 39 साल के हुए महेंद्र सिंह धोनी, पढ़ें उनसे  जुड़ी 10 बड़ी बातें

     "बर्बाद इंडिया "के चीफ एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार मनोज बत्तरा ने भी उक्त विषय पर अपने विचार भेजें !बत्तरा ने कहा कि "इसमें कोई दो राय नहीं ,कि धोनी साहब ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत को ऊंचाइयों पर कई आयाम दिए! अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा ,उनका निजी फैसला है !पूरे देश को उनकी भावनाओं और फैसले का सम्मान करना चाहिए!रही बात उनके बिना भारतीय क्रिकेट की दशा की ,तो मुझे पूर्व राष्ट्रपति स्व .अब्दुल जी कलाम साहब के शब्द याद आ रहे है कि "इन्तजार करने वालों को ,सिर्फ उतना ही मिलता है ,जितना कोशिश करने वाले ,अक्सर छोड़ देते है !" पर यहाँ कलाम साहब के कहने के भाव कुछ और थे !लेकिन यहाँ मैं कहना चाहूंगा कि किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !बहुत सारे उत्साही लोग ,इस इन्तजार में रहते है कि कब उन्हें मौका मिले ,देश और परिवार का नाम रोशन करने का !धोनी का करिश्माई युग ,क्रिकेट जगत में प्रेरणा बनेगा ,नए आयाम स्थापित करेगा !ये बात दूसरी है कि धोनी की कमी, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सदैव खलेगी और उनका योगदान सदैव याद किया जाता रहेगा !" 
     हालाँकि बत्तरा के विचार जन -संसद में साझा राय नहीं बना पाएं,जबकि उनके विचार प्रासंगिक तो है ही ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





Wednesday, August 19, 2020

"चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


 "चुगली का मज़ा लेने वाले,तेरी भी चुगली हो रही है,मौहल्ले में !"

     "चुगली"-नाम से ही स्पष्ट है कि गली -मौहल्ले में होने वाली चूँ -चूँ ,ची -ची आदि को ही चुगली कहा जाता है और ऐसे मौहल्ले को "चुगली मौहल्ला "! अन्य नामों में बुराई ,निंदा ,कान भरना आदि भी, चुगली को ही कहते है!किसी के गुण -दोष बताना (आलोचना/समीक्षा ),निंदा या चुगली नहीं होती !चुगली के मामले में पुरुष से ज्यादा औरतें बदनाम होती है !

योगी जी: क्या केवल जुगाली करेंगी ...

     भैंस की जुगाली हो या लोगों की चुगली ,बेवजह नहीं होती !भैंस घास आदि खाने के बाद अपने मुँह से सफ़ेद झाग निकालती है ,जैसे मानो कोलगेट कर रही हो और पुरुष व औरतें स्वयं की हीनता ,कमजोरी तथा आदतन आदि के कारण चुगली करते है!कुछ हाउस वाइफ औरतों का तो घर की चारदीवारी में सारा दिन दम घुटता है ,तो वे पड़ोसन की चौखट पर पहुँच जाती है ,चुगली का अधूरा ग्रन्थ लिखने को!वैसे भी खाली दिमाग शैतान का घर होता है !मुझे याद आ रहा है ,किसी विद्वान् का कथन कि "निंदा का जन्म ,हीनता और कमजोरी से ही होता है!"
     निंदा ,बुराई ,चुगली करने वाले को "निन्दक "कहा जाता है !निन्दक मुख्यता दो प्रकार के होते है-सामान्य निन्दक और मशीनरी निन्दक !सामान्य निन्दक वे निन्दक होते है ,जो परिस्थितयों के अनुसार ,कम या ज्यादा लोगों की सामान्य रूप से चुगली -निंदा करते है!और मशीनरी निन्दक ,वो निन्दक होते है ,जो चालू मशीन की तरह,लगातार चुगली-निन्दा करते ही रहते है !वे रुकने का नाम ही नहीं लेते है !मशीनरी निन्दक ,सामान्य निन्दकों से ज्यादा खतरनाक होते है !और मशीनरी निन्दकों में, सामान्य निन्दकों से कहीं ज्यादा हीनता और कमजोरी होती है !
     दोनों प्रकार के निन्दकों में एक बात कॉमन है कि दोनों ही अपने अहम की संतुष्टि के लिए ,चुगली -निन्दा का सहारा लेते है और इनके अंतर में अकेलापन व् खालीपन भी संभवत होता है !काश ,कोई इनको समझा पाता कि जीवन का असली आनंद परोपकार ,कल्याण और ईश्वर के प्रति भक्ति आदि उच्च भावनाओं में है !दोनों ही निन्दक अपना और अपने सामने वाले श्रवणकारी शिकार का समय नष्ट कर रहे होते है !
     मौहल्ला चाहे कोई भी हो ,वहाँ थोड़ा या ज्यादा चुगली-निन्दा का साम्राज्य रहता ही है !"तारक मेहता"वाली 'गोकुलधाम सोसाइटी 'सब जगह थोड़ी होती है!मैंने एक मौहल्ला ऐसा भी देखा है ,जहाँ अंदर ही अंदर चुगली-निन्दा चलती है !पर इस मौहल्ले की ख़ास बात ये है कि यहाँ कभी झगड़ा नहीं होता !सब संभ्रांत परिवारों के स्याने लोग है!मैं तो यहीं कहूंगा कि "चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"
     मेरी नज़र में ,मौहल्ला सदभाव और सहयोगपूर्ण होना चाहिए !दिन में कितनी बार हम एक-दूसरे के मुँह -माथे लगते है !जरूरत ,सुख -दुःख में ,कम -ज्यादा एक-दूसरे के काम आते ही है! क्या ये छोटी बात है ?मौहल्ला भी एक वृहद परिवार है और पडोसी इस परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा!सारी उम्र जब साथ रहना है ,तो शूद्र और निम्नतर व्यवहार क्यों ?
    समझदारी इसी में है कि पहले तो किसी निन्दक को अपने पास बैठने न दें!और यदि आप ऐसा न कर पाएं ,तो उसे स्पष्ट बोलने का साहस अवश्य दिखाएँ कि किसी की बुराई हमसे न करें !हमारी फितरत सबसे मेलजोल वाली है !

Twitter पर @zoomtv: "Bollywood @ 13 megapixels - Gandhi Ji ke ...

     एक बार आपने निन्दक से किसी की चुगली -निन्दा सुन ली ,तो उसे आगे का रास्ता मिल जायेगा !क्योंकि आपको मज़ा आने लगता है ,दूसरों की बुराई सुनने में !तब आपको निन्दक अपना सगा रिश्तेदार लगने लगता है!आप उस पर अंधविश्वास करके, अपने भेद देने लगते है और वह महान निन्दक आपको कहाँ-कहाँ मशहूर कर देता है ,आपको पता चलना तो दूर ,आईडिया तक नहीं होता आपको, कि आप बदनाम हो चुके है !
     ऐसे निन्दक किसी न किसी बहाने आपके दिल और घर में घुसते है !अपनी तारीफ और इज्ज़त ये मौहल्ले के हर घर से चाहते है !पर दूसरे की इज्जत का जनाजा हर वक़्त ,निन्दा कर-कर निकालते रहते है !माफ़ कीजियेगा ,एक कहावत है कि -"ये गूं भी वहीं खाते है ,जहाँ की चुगली करते है !"
     यदि मौहल्ला "चुगली मौहल्ला"है,तो पड़ोसियों का दोगलापन और झूठे रिश्ते हमेशा आपको तकलीफ देंगे !सकारात्मक /पॉज़िटिव विचार,परस्पर सहयोग और सम्मान से हम  एक -दूसरे के जीवन में खुशबू बिखेरें -ऐसा विचार मन में ला,प्रण लें कि न बुरा कहेंगे ,न बुरा सुनेंगें !

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चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



Saturday, August 15, 2020

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !

   

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


     उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर शिल्पा जी "शैली "द्वारा ,विषम परिस्थितयों में सकारात्मकता के भाव की मुझे शिक्षा और उसके सुखद परिणाम आने के बाद भी ,हमारे बीच सकारात्मकता को लेकर ,टेली -कालिंगनार /चर्चा चली !
     शिल्पा जी ,विल -पॉवर को समझती है!और मेरा व्यक्तित्व पूर्व -जन्म के संस्कारों से निर्मित है !इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मेरे जीवन के ,अविश्वसनीय सत्य है!शिल्पा जी जो कहती है ,जो समझाती है ,वो मुझ पर बेहद असर डालता है !मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है !मेरे अंदर उनके कारण ही ,जो सच घट रहा है ,वो ही लिख रहा हूं !
      इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मानसिक -शक्तियों की तरह ही ,सकारात्मकता /पाजिटिविटी भी एक मन की शक्ति है !इसका अनुभव करके ,हम विषम  परिस्थितयों में भी ,प्राय सुखद परिणाम ले सकते है!जीवन में सफलता ,मानव-कल्याण ,परोपकार आदि के लिए, सकारात्मक और कल्याणकारी सोच की आवश्यकता होती है!विषम परिस्थितयों में ,सामने वाले को यदि स्पष्ट रूप से ,बात के सभी पक्ष निर्भीक होकर ,सच-सच बता दिए जाएँ ,तो उसको अपनी ओर किया जा सकता है !समय मिलने से ,विषम परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाता है!मेरा मानना  है कि सकारात्मकता के भावों से भक्ति के सोपानों /सीढ़ी को पार किया जा सकता है!इससे यानी भक्ति में सकारात्मकता के भावों से,ईश्वर -प्राप्ति भी संभव है !सही ही तो है ,बड़ा -बड़ा ,ऊँचा -ऊँचा ,अच्छा -अच्छा ,कल्याणकारी -सोच का भाव ही तो "सकारात्मकता "है !मैं तो कहूंगा जी ,"सकारात्मकता "सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी है !आई लव यू ,पाजिटिविटी मम्मा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा आगे बढ़ रही थी !
     "दूध का जला ,छाछ भी फूंक -फूंक कर पीता है !क्या आपके जीवन में ,ऐसा कुछ है ?"-मेरे इस प्रश्न के उत्तर में शिल्पा जी ,बड़े शांत स्वभाव से बोली -"नहीं ,मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है !मेरे माता -पिता ने मुझे हमेशा सिखाया कि जीवन में ऐसा कोई कार्य न करों कि बाद में पछताना पड़े !और आत्म -ग्लानि में ,आप खुद की ही  नज़रों से गिर जाओ! "उन्होंने आगे ये भी कहा कि इसलिए मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करती ,जिससे बाद में पछताना पड़े !मुझमें बेहद स्वाभिमान है !मुझे अपमानित होना या मखौल का विषय बनना ,पसंद नहीं !
     सच ही तो कहा है ,सकारात्मकता की साक्षात्, जीवित मूर्ति शिल्पा "शैली "जी ने !वास्तव में ,"आत्म-ग्लानि"पश्चाताप की वो स्थिति है ,जिसमें आत्मिक दर्द -वेदना होती है !शाब्दिक अर्थ से भी तो स्पष्ट है ,आत्मा का गल जाना !बिखर जाना!
     दरअसल,आत्म-ग्लानि ,बिना सोचे -समझे किये गए कार्यों ,अहंकार युक्त गलत फैसलों आदि के बाद,आने वाले भयंकर परिणामों और उत्पन्न विषम परिस्थितयों में ,किसी भी मनुष्य में ,मनोवैज्ञानिक रूप से आ सकती है!
     आत्म-ग्लानि में ,यदि सकारात्मक -भाव है ,तो प्राय मनुष्य पश्चताप के बाद,खुद को समेटकर ,गलतियां दोबारा न करने की प्रेरणा लेता हुआ ,अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है!और यदि आत्म-ग्लानि में नकारात्मक -भाव है ,तो मनुष्य स्वयं को तुच्छ और जीर्ण-शीर्ण समझते हुए ,शर्म से आत्म-हत्या तक कर लेता है या जीवन-भर पश्चाताप में पड़ा रहता है!
     इस प्रकार ,आत्म-ग्लानि भी ,मन की ही एक स्थिति है!जोकि विभिन्न रूपों में,विभिन्न कारणों से मनुष्य  में आ सकती है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 


      ईश्वर की बनाई हुई, अद्भुत कृति/रचना ,शिल्पा "शैली "जी को मैंने अच्छे से समझ लिया है!माता-पिता द्वारा दिए गए ,संस्कारों के कारण ही ,उनमें प्राय सकारात्मकता के भाव रहते है और इसी सकारात्मकता के कारण ही,उनकी वाणी व् सुलझे व्यवहार में गजब का संतुलन है !सब दिव्य लगता है!और उनकी स्पष्टता ,भीतर की ईमानदारी ,सच्चाई और सकारत्मकता ,कहीं न कहीं स्वाभिमान पैदा करती है!तभी तो,एक सम्मानित जीवन व सम्मानित रिश्तों की चाह रखती है ,शिल्पा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा जब अपने अंतिम चरण में आई,तो शिल्पा जी ने बड़ी सहजता और कॉन्फिडेंस से कहा-"ऐसा नहीं है कि उनमे भी नकारात्मकता के भाव नहीं आते !वे स्वाभाविक है ,पर वे जल्द ही उन पर कंट्रोल कर लेती है!"
    और अंत में,निष्कर्ष रूप में ,यहीं कहना चाहूंगा कि भक्ति -सत्संग से ,अच्छा साहित्य पढ़ने से ,अच्छे लोगों की मित्रता से,अंतर्ज्ञान -चिंतन-मनन- रचनात्मकता और  माता-पिता -गुरु  के संस्कारों आदि से सकारात्मकता आती है!बस जरुरत है ,जीवन को सफल बनाने के लिए ,ईश्वर प्रदत्त इस अद्भुत "सकारात्मकता "की शक्ति को पहचानने और उसके सदुपयोग की!
     वैसे शिल्पा जी ,आपके चरण -कमल  कहाँ है ?


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा




   




Tuesday, July 28, 2020

शिल्पा "शैली "पुरस्कृत और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर नियुक्त !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी शिल्पा "शैली "पुरस्कृत और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर नियुक्त !

27 जुलाई ,2020 . 
चंडीगढ़ (पंजाब ). (चीफ एडिटर मनोज बत्तरा द्वारा ). 

     प्रिय पाठकों !मेरा मानना है कि आपके जीवन में जिस इंसान ने अपनी भूमिका निभानी होती है ,उसे परिस्थितियाँ आपके जीवन में अवश्य लेकर आती है!जीवन में हर एक चीज का समय कुदरत ने पहले से ही निश्चित कर रखा है !फिर अच्छी व बुरी आत्माएं अपना -अपना समूह बनाकर इस दुनिया में कार्य करती है और इस जन्म के या पूर्व जन्मों के कर्मफल हमारे आगे आते रहते है!अब यहाँ कर्म-बंधन से मुक्ति अलग आध्यात्मिक विषय है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 

     मेरे जीवन की परिस्थितियाँ शिल्पा "शैली"जी को, मेरे जीवन में सहजता और प्रभावशाली ढंग से लेकर आई !मानो ,उनका मेरे जीवन में आना पहले से ही तय था !
     विषम और प्रतिकूल परिस्थितयों में भी सकारात्मक ,पॉज़िटिव सोच के साथ ,निरंतर सतत ,ठोस प्रयास का उच्च सन्देश उन्होंने मुझे दिया !शिल्पा "शैली"जी के वाक्यों को ईश्वरीय सन्देश मानकर ,मैंने जब अमलीजामा पहनाया ,तब काफी हद तक परेशानी से मुक्ति भी हो गई !
     शिल्पा "शैली "जी का सहयोगात्मक रवैया ,अपनत्व ,मानवता ,दर्शन ,जीने की कला ,मातृत्व ,कर्तव्यनिष्ठा ,मृदुल वाणी,ईश्वर के प्रति भक्ति-भाव ,अपने जीवन में मर्यादा (राम )और आर्ट ऑफ़ लिविंग (कृष्ण )का सामंजस्य और उनका सुलझा व्यक्तित्व आदि ईश्वर -रुपी शिल्पकार का, उनके रूप में शिल्प ही तो है!सचमुच,वे उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी है !मैं तो भई ,उनसे बेहद प्रभावित हूँ और नतमस्तक हूँ ,उनके दिव्य व्यक्तित्व के आगे !
     शिल्पा "शैली "जी के महान व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ही ,मैंने उन्हें पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है ! सम्मान -स्वरूप उन्हें एक पत्रिका भेंट की जा रही है तथा शिल्पा "शैली "जी को "बर्बाद इंडिया "के संपादक -मंडल में को -एडिटर नियुक्त किया जा रहा है !ताकि शिल्पा जी समाज को सही और सकारात्मक दिशा देने में ,अपनी अहम भूमिका निभा सकें !
     शिल्पा "शैली"जी की रचनात्मकता ,सृजन और सकारत्मकता के नवीन व विविध आयाम स्थापित करेंगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





Friday, July 24, 2020

बाप में भी होती है ममता -वात्सल्य !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


आप बीता एक सच्चा और मार्मिक प्रसंग! 
    

सहृदय बाप में भी होती है ममता -वात्सल्य !

    "मैया मोरी ,मैं नाहिं माखन खायों !"


     -"तो, किसने खायों ?"

     "मैया मोरी ,कबहुँ बढ़ेगी चोटी ?
     कितनी बार मोहें दूध पियत ,अबहुँ हैं यह छोटी !"

    -"मेरे लड्डू गोपाल !जेकर अमूल दूध पियत,तबहूं बढ़ती न ,तोरी चोटी !" 




     -तो देखा आपने ! वात्सल्य को लिखते -लिखते ,मुझमें भी ममता ,वात्सल्य और भक्ति के भाव आ गए !दरअसल , भक्ति -काल के शिरोमणि और सर्वोत्कृष्ट महाकवि सूरदास जी ,वात्सल्य का कोना -कोना झाँक आयें है !32 विद्याओं और 64 कलाओं से निर्मित ,महान कर्मयोगी  व विष्णु के पूर्ण अवतार भगवान् श्री कृष्ण की भक्ति में डूबे ,जन्मांध सूरदास जी ने अपने मन की आँखों से ,यशोधा मैया और बाल कृष्ण के संबंधों ,लीलाओं और वात्सल्य के उक्त जैसे अनेकों दुर्लभ और अद्भुत चित्र उकेरें है !उन जैसा कवि पुनः मिल पाना संभव नहीं है !
      अब ये भूमिका प्रस्तुत करने के बाद ,आधुनिक युग की "मीरा " महादेवी वर्मा जी के जीवन के उस प्रसंग की ओर , आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हू ,जिसे बहुत कम लोग जानते है !

    "मैं लेटी थी ,वो मेरे ऊपर लेटा था !
     मैं उठ न सकी ,क्योंकि वो उठ न सका ,क्योंकि वो मेरा बेटा था !"
                                                                           (-महादेवी वर्मा )

      -ये जवाब था ,महादेवी वर्मा जी का ,उन श्रोताओं को, जो कवि-सम्मेलन में उनका काफी देर से इन्तजार कर रहे थे ,उनसे नाराज हो रहे थे !
     महादेवी वर्मा जी के जवाब में ,मर्यादा का अतिक्रमण ,सूक्ष्म -बुद्धि और वाक् -चातुर्य दिख रहा है ,किन्तु वात्सल्य का ऐसा अद्भुत उदाहरण भी, क्या हमें कहीं ओर देखने को मिला है ?

     "आंगन में फूल खिला था कोई ,
     महक माली की थी ,
     पर लूट गया भँवरा !"

      -ये वर्षों पहले मैंने लिखा था ,पड़ोस में हुई, जन्म के समय हुई, एक नवजात शिशु की मौत पर !

     "....जीवन ऐसे भी है,जो जिए ही नहीं !
     जिनको जीने से पहले फिजां खा गई !
     जिंदगी का सफ़र, है ये कैसा सफ़र!
     कोई समझा नहीं ,कोई जाना नहीं। .... "
             (-फिल्म -सफ़र /गायक -किशोर कुमार )

     उस समय मुझे लिखने का नया-नया शौक लगा था !कल्पना -शक्ति मुझमें बहुत थी!उस बच्चें की मौत के प्रति मुझमें जिज्ञासा रही !संवेदना ,दुःख -दर्द था ,पर उतना नहीं ,जितना किसी अपने  के जाने का हुआ मुझे !
 दुनिया के रंग,लोगो का असली चेहरा ,असली संवेदना ,असली दुःख-दर्द, मुझे उत्कर्ष ने सिखाया !उत्कर्ष-मेरा बेटा !36 दिन का मेहमान!



     मुझे उन दिनों समझ कम ही थी ,उस समय दादी के कहने में आकर ,मिसेज की पहली डिलीवरी हमने सरकारी अस्पताल में करवाई !उचित ट्रीटमेंट और सुविधाओं के अभाव आदि के चलते ,बच्चा नाड़वे के साथ लिपटा हुआ पैदा हुआ! डॉक्टरों ने नाड़वा काटकर ,बच्चे को अलग किया ,किन्तु बेटे को साँस की तकलीफ शुरू हो गई!लेडी डॉक्टर ने मुझसे क्षमा भी मांगी ,कि वह जच्चा-बच्चा की ठीक से केयर न कर सकी !उसे डर था कि हम उस पर कोई केस न कर दें !जीवन-मरण ईश्वर  के  हाथों में होता है ,यह सोचकर हमने डॉक्टर को कुछ नहीं  कहा!और हम जल्दबाजी में ,एम्बुलेंस करके, बच्चे को पी जी आई ,चंडीगढ़ ले गए !रास्ते में बच्चे को सांस की तकलीफ बढ़ रही थी!किन्हीं कारणों से ,एम्बुलेंस में रखा ऑक्सीजन -सिलेंडर बच्चे  को लग नहीं पाया!बच्चे की मौत के डर से हम काफी घबरा गए !हमने एम्बुलेंस की सारी खिड़कियां जल्दी -जल्दी खोल डाली ,ताकि बच्चा ताज़ी, तेज हवा में सांस ले सके !घबराहट में उस समय हमे यही सूझा !हमारे पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था!बस, ईश्वर का सहारा था और हम  उसी से प्रार्थना करते हुए आगे बढ़ रहे थे!
    बच्चे के दादा ने जन्म के समय,उत्कर्ष की जीभ पर शहद से ॐ लिखा और उसका 'उत्कर्ष' नामकरण किया!बाद में ,मैंने कहीं पढ़ा था कि जन्म के समय बच्चे को कोई खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ नहीं  देना चाहिए,क्योंकि इससे उसे नुक्सान होता है !
    दिखने में बेहद सुन्दर ,गोल -मटोल,हल्का-फुल्का। लाल होंठो वाला था , मेरा बेटा !उसके बेहद सहनशील होने का प्रमाण भी , उस समय हमें मिला !दिन में 3-4 बार ग्लूकोस आदि के लिए, जब उसे सुइंया चुभाई जाती ,तो वह रोता  नहीं था!
    बेटे के दिल में 3 m m का छेद था !ट्रीटमेंट के लिए  हम बच्चे को एम्स अस्पताल ,दिल्ली तक ले गए! और मेरे मन में ये बात  भी चल रही थी कि चाहे मुझे अपने शरीर के अंग भी बेचने पड़े ,अमेरिका तक भी ,बच्चे  को बचाने के लिए ,इलाज करवाऊंगा !और ये  एक बाप की बच्चे के लिए ममता - वात्सल्य ही था कि मैंने अपने चाचा से, अपने 50 हज़ार रूपये लेने के लिए कहा -सुनी भी की!
   अंततः बच्चे को इन्फेक्शन हो गया !खून का रंग काला!होंठो का रंग उस समय शायद नीला होने लगा था!बच्चे ने 5 -6 दिन तक पेशाब नहीं किया ,तो नर्सों ने उसके अंग में ,मुलायम और बारीक क्लिनिकली रबड़ की ट्यूब डालकर ,उसका पेशाब बाहर निकाला !उसके अंतिम दिनों में, फैमिली के लोग घर आएं हुए थे !मैं बच्चे के पास अकेला था !उसे सांस की बेहद तकलीफ शुरू  हो गई!डॉक्टर्स ने  कह दिया कि  सांस वाला पम्प रुकना नहीं चाहिए!18 घंटे तक लगातार ,बिना रुके मैं सांस वाला पंप चलाकर ,उसे सांस देता रहा !हाथ का कचूमर बन चुका था!न जाने कैसे सांस वाला पंप, 18 घंटे तक चलाने को,मुझमें इतनी हिम्मत आ गई थी!मुझे था कि यदि मेरा हाथ रुका ,तो बच्चा बचेगा नहीं!ईश्वर से बार-बार प्रार्थना कर रहा था कि मेरे पिछले और अगले समस्त जन्मों के समस्त पुण्य मेरे बेटे को दे दें ,और मेरे बेटे को बचा दें!

UAE-based Indian couple, baby die in Oman accident | Uae – Gulf News

   36 वें दिन नौसिखिए डॉक्टर्स की टीम आई  और ड्रामें  करते हुए उन्होंने ऑक्सीजन तेज कर दी !पहले उस समय मुझे समझ नहीं आया कि उन्होंने क्या किया !... फिर शुरू हुआ बच्चे को बचाने  का ड्रामा!... सब ख़त्म हो चुका था !शायद जानबूझकर डॉक्टर्स ने बच्चे  को मार दिया !सारी उम्र ये सवाल साथ चलता रहा कि क्या मेडिकल साइंस में लाइलाज बिमारियों में रोगी को मारने का अधिकार होता है?
   उसके मरते वक़्त कहीं दूर मद्धम -मद्धम नगाड़े बज रहे थे!मैं सुन्न था!साक्षी -भाव से मेरी आत्मा, मेरे शरीर से अलग होकर, बेटे की मौत के दृश्य को देख रही थी !
  .... परिवार के लोग और कुछ लोकल रिश्तेदार आ चुके थे!हम सब दैनिक भास्कर ,चंडीगढ़- कार्यालय के समीप एक शमशान -घाट में बेटे को दफनाने ले गएँ!
   बच्चे को नहला-धुलाकर ,नए कपडे पहनाकर मेरी गोद में दे दिया गया !और उसकी आत्मा की शांति के लिए मंत्रो-उच्चारण शुरू हो गए !
   इधर मैं बच्चे को चुनड़ियाँ मार रहा था !चुँगटियाँ काट रहा था!और मन में बोल  रहा था कि बेटे ,उठ !नहीं तो ,अब तुझे मिट्टी में दफना देंगें !... नहीं उठा वो !क्यों उठता वो?36 दिन का  साथ  ही तो था हमारा! 36 दिन में जिंदगी और अपने की मौत का सबक मुझे सीखा गया वो!दुनिया का असली चेहरा दिखा गया वो!एक बाप  में भी ममता - वात्सल्य जगा गया वो !हमारी गोद उस पुण्य आत्मा  को पसंद नहीं आई ,तो मैंने उसको धरती माता की गोद  में अर्पित  कर दिया !

My birth story: I am a dad and I delivered my baby by accident ...

   .... मिसेज टूट चुकी थी!उसे सँभालने की जिम्मेवारी मेरी थी !उसको दिलासा देता रहा और मैंने खुद के आंसू पी लिए !
  और इस सारे प्रसंग में लोगो और रिश्तेदारों का सच भी सामने आया!कुछ ने पैसों की सहायता तो देनी चाही ,पर सुसराल और अपने परिवार केअलावा, कोई भी एक रात, हमारे साथ अस्तपताल में, साथ देने के लिए नहीं रुका !चाचे के साथ उन दिनों प्रॉपर्टी को लेकर उठापटक चल रही थी !वो ,दादी और 2 बुआओँ का परिवार बच्चे को देखने तक न आया!एक कजिन साली ने तो न जाने क्यों ,बच्चे की छठी की मिठाई का डिब्बा वापिस भिजवा दिया!बच्चे की मौत पर सब रोने आ गए !ऐसे सब लोगों को छोड़ने का, उस समय फैसला मैंने ले लिया!आज मैं उन अनजान लोगों के साथ जीता हूँ ,जो दिल से मेरा साथ देते है !इज्जत करते है!

     "अपने ही गिराते है ,नशेमन पर बिजलियाँ !नशेमन पर बिजलियाँ !
गैरों ने आके ,दामन थाम लिया है!"

     इन ड्रामों से बिलकुल अलग ,मेरे दिल के काफी करीब मेरी एक कजिन ने मुझसे सही संवेदना और सांत्वना व्यक्त की-"मनोज !ईश्वर फिर देगा !"यह सुनकर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और एक बाप की ममता अश्रुओं में बहने लगी!
     आज भी बेटे को याद करते हुए सोचता हु कि भगवान् तूने बेटा वापिस लेना ही था ,तो दिया ही क्यों था!क्या ये उसके और हमारे भी कर्म-फल थे ?हम समाचार -पत्रों में अक्सर पढ़ते है कि स्कूल -बस/वैन आदि के दुर्घटना-ग्रस्त होने से इतने बच्चों की मौत हो गई!इतने बच्चें नदी में डूब गए !हे भगवान् ,इन बच्चों को आप अपने खेल ,अपनी लीलाओं  ,कर्मफलों और मौत आदि से क्यों दूर नहीं रखते? बच्चों को बख्शकर भी तो, आपका संसार चल सकता है!बच्चें  हम माता-पिता की जिंदगी है!हमारा सहारा हैं!हमारे खिलोनें है !हमारी चेतना है और बच्चों के रूप में तेरी ही तो भक्ति है!सृष्टि को आगे बढ़ाने में ,तेरे द्वारा हमें सौंपी गई जिम्मेदारी है!

School Bus Accident in shivpuri, many child injured

    आज किसी के भी बच्चे को चहकते -महकते ,मुस्कुराते -खिलखिलाते देखता हू ,तो उत्कर्ष का गम प्राय भूल जाता हू !बच्चों की मौज-मस्ती ,तुतलाती बातें ,हंसी -मज़ाक,कलरव ,अठखेलियां ,मासूमियत ,सादगी ,भोलापन आदि तरों -ताजगी के साथ जीने की राह दिखाते है!देखने के लिए सूक्ष्म- नेत्र और भाव चाहिए ,बच्चो में ईश्वर के दर्शन हो जायेंगे!

Injury prevention - Introduction | Encyclopedia on Early Childhood ...

   बस ,मन में ये विचार /भाव आता है कि ये दूसरे के बच्चें मेरे कुछ नहीं लगते !इनमें मेरा अंश भी नहीं है !पर इन्होने मेरे चेहरे पर मुस्कान बिखेरी है !मेरे मन में स्फूर्ति भरी है!बस ,यही तो सच्चा रिश्ता है हमारे बीच!दोस्ती ,अपनापन ,सुरक्षा और केयर बनती है बच्चों के लिए!अब इसको उनको कोई रक्त -सम्बन्धी दें या कोई भी इंसान!सचमुच ,बच्चें तो सांझा होते है ,शिल्पा जी!
   समय बड़े-बड़े जख्म भर  देता है !आज उसका सही चेहरा मैं भूल गया हूँ !कभी याद  आने पर आँखें गीली हो जाती है ,जैसे कि अब लिखते -लिखते हो रही है !भाग-दौड़ ,उलझन  में हम उत्कर्ष की एक भी फोटो लें नहीं पाएं !जीवन -भर  ये अफ़सोस भी साथ चलता रहेगा !


उत्कर्ष से छोटी समिधा बिटिया !



चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा