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Thursday, September 17, 2020

टेली -कलिंगनार ! .... जब बत्तरा ने ठुकराई ,एक ठग की 10 लाख रूपये की ऑफर ! लेडी श्रवण कुमार हैं ,शिल्पा 'शैली '!@मुख्य संपादक मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर) )

टेली -कलिंगनार !

.... जब बत्तरा ने ठुकराई ,एक ठग की 10 लाख रूपये की ऑफर !

लेडी श्रवण कुमार हैं ,शिल्पा 'शैली '!@मुख्य संपादक मनोज बत्तरा 

दिनांक -17 सितम्बर ,2020 . 

राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ).(शिल्पा 'शैली 'और मनोज बत्तरा द्वारा )

     आज 'बर्बाद इंडिया 'की को -एडिटर शिल्पा 'शैली 'जी से ,मुख्य संपादक मनोज बत्तरा की संक्षिप्त वार्ता हुई !प्रस्तुत है कुछ अंश :-

     "मैंने जीवन में दो बातें सीखी है,पहली कि सफलता के लिये ,विकल्प और दूसरी ,उस लक्ष्य को ,जिसे आप पाना चाहते है ,'गोल'मानकर ,सकारात्मक सोच के साथ ,सतत प्रयास जरूरी है !"मैंने शिल्पा जी से कहा। 

     प्रत्युत्तर में शिल्पा जी बोली -'आपकी पहली बात ,100 %सच है !विकल्प जीवन में होने चाहिए !जीवन जीने का यहीं सलीका है!एक रास्ता बंद होता है ,तो अन्य रास्ते खुलते है !'

     मन ही मन सोच रहा था कि दूसरी बात पर ,शिल्पा जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। खैर ,मैंने ही इस बात को प्रमुखता देते हुये ,उनसे कहा -" 'गोल' वाली बात में भी ,कुछ पॉइंट है !'गोल'को हासिल करने में ,आपकी जिद्द या आपका अंहकार और या आपका स्वाभिमान भी ,महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है !"

     'स्वाभिमान के साथ ही ,इंसान को जीवन में आगे बढ़ना चाहिये और ध्यान रखना चाहिए ,कि माता -पिता का नाम ख़राब न हो !'-शिल्पा जी की बात सुनकर ,ऐसा लगा जैसे वे 'लेडी श्रवण कुमार' है !बात -बात में माता -पिता को याद करना ,उनके दिए संस्कारों का प्रकटन आदि मातृ -पितृ -भक्ति का ,इस कलियुग में अद्भुत उदाहरण है !

 


     'जी ,.... मैंने जीवन में सच्चाई के मार्ग को चुना !आपको बताऊँ मैं ,विषम -परिस्थितियों में ,एक ठग(ग्राहक ) ने लोगों से ठगी मारने के लिए ,10 लाख रुपये का ,मुझे ऑफर दिया ,तो मैंने अपनी ईमानदारी और देश-भक्ति का हवाला देते हुए ,उसे चलता कर दिया ! पर वो मुझसे प्रभावित होकर बोला कि आपकी मैं इज्जत करता हूँ ,बुरे वक़्त में कभी आपने 500 /-रूपये की मेरी मदद की थी !सोचा, आपकी परेशानियों में ,10 लाख रूपए आपकी मदद करेंगे !पर आपकी देश-भक्ति देखकर ,मेरी आत्मा भी जाग गई है !अब मेहनत से बेटी और बीवी का  भरण-पोषण करूँगा !... फिर वह पंजाब छोड़कर कहीं चला गया !पिछले 5 वर्षों से ,अपनी शॉप पे उसके दर्शन नहीं हुये !'- मेरी ये बात सुनकर, शिल्पा जी सोच रही होंगी कि कितने 'मिया मिठ्ठू' है !मुझे तो डर है ,कहीं मुझे 'मिठ्ठू जी ' बुलाना न शुरू कर दें!मैंने उनसे आगे कहा -'सच्चाई का मार्ग एक कठिन मार्ग है!काँटों का बिछोना है !मेरे मन में एक ही बात रहती है कि कष्टों वाले, इस मार्ग पर, जब भी सफलता मिलेंगी ,वह आनंदमय ,स्थायित्व और संतोष पूर्ण होगी !'-शिल्पा जी ने मेरी इस बात पर पूर्ण समर्थन में ,अपनी हामी का मुझे रिवॉर्ड दिया !और बोली कि 'गलत रास्तों पर जाकर ,शॉर्टकट से सफलता पाना ,मतलब खुद को बर्बाद करना !'


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है !
 

     थैंक यू सो मच ,शिल्पा जी !कभी -कभी तो ऐसे लगता है कि हम दोनों एक ही थैली के चट्टे -बट्टे है !फोटो -कॉपी है !अब प्लीज ,लड़ना मत कि चट्टा कौन है ,और बट्टा कौन है ?


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


Saturday, September 12, 2020

टेली-कॉलिंगनार ! रिश्तों के गेम -शो 'कौन बनेगा रिश्तेदार ?'में बत्रा ने करोड़ों की बाजी जीती ! रिश्तों में बातें छिपाना ,मतलब खुद का गलत होना !@को -एडिटर शिल्पा 'शैली '-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली-कॉलिंगनार !

रिश्तों के गेम -शो 'कौन बनेगा रिश्तेदार ?'में बत्रा ने करोड़ों की बाजी जीती !

रिश्तों में बातें छिपाना ,मतलब खुद का गलत होना !@को -एडिटर शिल्पा 'शैली '

दिनांक -12 सितम्बर ,2020 .
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा ).

     आज प्रात कोई दस बजे,इंट्यूशन हो रही थी ,कि जैसे शिल्पा 'शैली 'जी मुझे याद कर रही हो !बस ,फिर क्या था ,मैंने कॉल घुमा दिया। और बातों का सिलसिला जारी हो गया।


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है !
 

     -'सुबह -सुबह कॉल कर रहा हू ,इसलिए कि देखता हू कि आपमें कितनी एनर्जी है। 'मेरे इस कथन पर वे मुस्कुरा दी।
     -'शिल्पा जी ,आपकी ये बात पूरी तरह सच निकली कि समय ,स्वयं समाधान लेकर आता है।मेरी बेटी की पूरी फीस स्कूल ने माफ़ कर दी। नहीं तो हालात ने कमर तोड़ दी थी।'
     -'चलिए ,आपका एक तरफ से बर्डन कम हुआ। 'वे खुश होकर बोली।
     आगे बात उनके ऑफिस की चली ,तो मैंने कहा कि'यदि कटमर की नियत लोन भरने की है ,तो कंपनी को भी ,उसके हालातों को समझते हुए ,उदारता बरतनी चाहिए।'इस पर शिल्पा जी ने कहा कि 'व्यवहार में ऐसा नहीं होता। '
     'मैंने भी आज रास्ता तलाशने की भरपूर कोशिश की ,कि कोई एक तो सच्चा इंसान मिलेगा ,जो समस्या को सिरे चढ़ाएगा !मैंने आगे कहा। इस पर शिल्पा जी तपाक से बोली -'ये आपकी पॉजिटिविटी ही है ,जो आप विषम हालातों में लगे हुए हो !सौ में से वो एक इंसान खोजना होता है ,जिसके पास सॉलूशन होता है !'चौबीसों घंटे साकारात्मक रहने वाली ,शिल्पा जी के शरीर के निकट ,निश्चित रूप से,अवश्य ही प्रकाश-पुंज होगा !लगता है ,शोध के लिए वैज्ञानियों की टीम जरूर बुलवानी पड़ेगी !
     आज बातों के दौर में, उत्साह और व्याकुलता तो थी ,पर कानों को मज़ा नहीं आ रहा था,क्योंकि बाईपास पर ट्रैफिक का शोर बहुत था। आज मुझे अपने बहरें होने का अहसास हो रहा था ,हा -हा !
     बातें आगे बढ़ रही थी। आज शिल्पा जी ने ,मेरा मक्खन लौटाने का मन बना रखा था ,बोली-'आप जो लिखते हो ,वो बहुत गहराई में उतर जाता है!निष्कर्ष अच्छे निकालते हो आप !लेखन के प्रति आपकी ईमानदारी और मेहनत दिखती है !लेखों में नयापन होता है !बोरियत नहीं आती !'
     'शिल्पा जी,मेरा पुनर्जन्म है !पिछले जन्म का ज्ञान और संस्कार है !बातों के मर्म अच्छे से समझ आते है !और मैं ,मन ही मन सोच रहा था कि शिल्पा जी मेरे सिरहाने बैठी हो ,मैं लिखता रहूँ ,वे तारीफ के पुल बांधती रहे !पर प्रभु ,कभी मुझमें मेरे लेखन का अंहकार मत भरना !मेरे पाँव हमेशा जमीन पर ही रखना !

Shilpa Shetty Family

     बातों -बातों में शिल्पा जी ने ,फिर एक ऐसी बात बोल दी कि मैं उनके आगे ,फोन पे यार ,नतमस्तक हो गया !उन्होंने कहा कि मैं अपने निकटम संबंधों में अपना सब कुछ शेयर करती हू !कुछ भी उनसे छिपाती हूँ  ,तो मैं गलत हूँ!'रिश्तों के प्रति शिल्पा जी कितनी ईमानदार है !कितने विश्वसनीय रिश्तें है ,उनके पास ,इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है !रिश्तों के प्रति ईमानदार इंसान ,जीवन में प्राय कम मिलते है ! मेरी नज़र में ,शिल्पा जी ,एक G R 8 और धनी महिला है ,क्योंकि उनके पास रिश्तें है और अब मैं भी तो हूँ ,उनका रखवाला ,उनका भाला !पर ,रिश्तों के मामले में ,अपना तो बुरा हाल है ,दोस्तों !सचमुच ,अकाल पड़ा हुआ है !पीठ में छुरा घौंपा गया !गलत समझा गया या यूँ कहूं कि मेरे वजूद को कभी समझने की कोशिश ही नहीं की गई !स्वार्थी दुनिया में अकेले हो गए हम !

     कुछ को हमने छोड़ा ,कुछ ने हमको छोड़ा ,रह गया बस, अब लोगों से रिश्ता थोड़ा -थोड़ा !

     दरअसल ,मुझे लोग जल्दी से पसंद भी नहीं आते !अब ये बात दूसरी है ,दोस्तों कि, रिश्तों के गेम -शो 'कौन बनेगा रिश्तेदार ?'में मैंने अभी करोड़ों की बाजी जीती है !उन एक से रिश्ता ,करोड़ों रिश्तों के बराबर है !

सवा लाख से ,ये रिश्ता लड़ाऊं /मिलाऊ (तुलना )!
तँ मनोज बत्तरा नां कहलाऊँ !!

     खैर ,मैंने उनकी उक्त बात पर ,उन्हें तेज आवाज में ,जोरदार सैलूट किया ,-'सलूटटट ...... शिल्पा जी ,जबरदस्त वाला !'
     हमारे बीच का टेली-कलिंगनार आगे बढ़ रहा था !
     भूतकाल के धोखे ,फरेब और असफलताओं तथा अज्ञात भविष्य आदि को ध्यान में रखते हुए ,मैंने कहा कि  'कल मेरा नहीं था ,न आने वाला कल मेरा कभी हुआ ,इसलिए मैं आज में जीने लगा हूँ !आने वाला पल,जाने वाला है !हो सके तो इसमें जिंदगी बिता दो ,पल जो ये जाने वाला है !ये गीत सुना है ,आपने ?'
     शिल्पा 'शैली 'जी मेरी इस बात पर,मुस्कुराते हुए बोली ,कि 'मैं पता क्या सोचती हूँ कि आज ऐसा काम करो ,जो भविष्य बनायें !'
     यहाँ दरअसल ,हम दोनों के कहने का वे अलग -अलग था ,पर हम दोनों 'आज में' जीने की बात कर रहे थे। शिल्पा जी ने भी इस बात को माना !
     आज पता नहीं ,क्यों अपराध-बोध हो रहा है मुझे !आज मैं अपने इस लेख के साथ न्याय नहीं कर पाया !शिल्पा जी की लम्बी ,मर्म वाली बातों को यहाँ लिख नहीं पाया,शायद तभी !घर आते -आते बहुत कुछ भूल गया !'अब यादाश्त तेज करने वाला टॉनिक नहीं पिलाओगे ,तो ऐसे ही होगा,शिल्पा जी !खैर ,आज का टेली-कालिंगनार आप भी लिखिए !दो बार ,अलग-अलग स्टाइल में छाप देंगे !घर की अखबार /वेबसाइट है !अपने केड़े पैसे लगदे हैं इत्थे !

"पहले तो मैं जॉबर थी ,राइटर बनाया आपने !"


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा




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Friday, September 11, 2020

हमारे बच्चें हमारी जिंदगी है ,हमारी दुनिया है। स्कूल भेजने का सवाल ही नहीं उठता !@मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

21 सितम्बर से ,आंशिक रूप से स्कूलों को खोलने का, सरकार का मन ! 

साढ़े 44 लाख से अधिक कोरोना -केस,और कई तरह की छूट,आश्चर्यजनक और विचारणीय प्रश्न है!

हमारे बच्चें हमारी जिंदगी है ,हमारी दुनिया है। स्कूल भेजने का सवाल ही नहीं उठता !@मनोज बत्तरा 

दिनांक -11 सितम्बर ,2020 . 
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 
      
     दिनांक 10 सितम्बर ,2020 के 'दैनिक ट्रिब्यून 'के सम्पादकीय 'सतर्कता संग शिक्षा 'पढ़कर ,वर्तमान में शिक्षा की दशा और दिशा ने ,'बर्बाद इंडिया न्यूज़ 'के मुख्य संपादक और पत्रकार मनोज बत्तरा का ध्यान आकर्षित किया।लेख में बताया गया कि सरकार ने आगामी 21 सितम्बर से ,कक्षा नौवीं से लेकर बारवीं कक्षा तक के छात्रों हेतू स्कूलों को आंशिक रूप से खोलने का मन बनाया है। लेख में कोरोना के वैश्विक -संकट के चलते ,वर्तमान में छात्रों की मनोदशा और चिंताओं का भी जिक्र है। लेख में ,ग्रामीण इलाकों में ख़राब इंटरनेट,बिजली -समस्या ,गरीबी आदि के कारण ऑनलाइन -शिक्षा में आ रही ,रुकावटों को भी प्रमुख रूप से उजागर किया गया है। 



     बत्तरा ने कहा कि देश में यदि कोरोना -केस लाखों में है ,तो एक अभिभावक की हैसियत से ,सरकार के ,इस मूर्खता -पूर्ण फैसले का स्वागत और समर्थन मैं कभी नहीं करूँगा। हमारे बच्चें हमारी जिंदगी है ,हमारी दुनिया है। स्वैछिक विकल्प और अनुमति का प्रश्न ही नहीं उठता। माना कि कोरोना -संक्रमण के बाद ,लागू लॉकडाउन ने देश में शिक्षा के अधिकार के दायरों को संकुचित कर दिया है। पर इस बात की क्या गारंटी है कि बच्चें और स्कूल ,नियमों के पालन में लापरवाही नहीं करेंगे और बच्चों को कोरोना -संक्रमण नहीं होगा। देश में 12000 कोरोना -केसों के आने पर तो बड़ा  लॉकडाउन लगा दिया जाता है और वर्तमान में साढ़े 44 लाख से अधिक कोरोना -केस आने पर ,कई तरह की छूट दी जा रही है -ये आश्चर्यजनक और विचारणीय प्रश्न है। 
     बत्तरा के उक्त आशय का पत्र ,आज 'दैनिक ट्रिब्यून 'के चंडीगढ़ ,करनाल और गुड़गांव तीनो संस्करणों में ,करोड़ों पाठकों हेतू 'ट्रिब्यून 'के सम्पादकीय -पृष्ठ पर ,'आपकी राय 'कॉलम के अंतर्गत प्रकाशित हुआ।बत्तरा का कहना है कि लेखन और पत्रकारिता के इस मुकाम पर ,वे बिना मार्ग-दर्शन और स्वप्रेरणा से पहुंचे है ,जिसके पीछे उनकी वर्षों की अथक मेहनत और समाज के प्रति दायित्व -बोध है।  



    

Wednesday, September 9, 2020

शिल्पा के कारण; बत्रा के फ्रिज का मक्ख़न ,थोड़ा कम हुआ !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली-कॉलिंगनार !

'बर्बाद इंडिया 'की सबसे बड़ी प्रशंसक,शिल्पा  'शैली ',फिर पुरस्कृत !

शिल्पा के कारण; बत्रा के फ्रिज का मक्ख़न ,थोड़ा कम हुआ !

  दिनांक -9  सितम्बर ,2020 
 राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (शिल्पा 'शैली 'और मनोज बत्रा द्वारा ). 

      रियल और वास्तविक ,उन्हें इंसान कहना अटपटा लग रहा है ,इसलिए रियल और वास्तविक रब जैसे लोगों के अंतर्मन की पहचान ,उनकी आवाज में परिवर्तन से हो जाती है। दरअसल ,वे अंदर से जो, जी रहे होते है ,वो ही उनके चेहरे और आवाज से झलक रहा होता है। आज जब 'बर्बाद इंडिया'की उप -संपादक शिल्पा जी 'शैली'का कॉल आया ,तो उनकी आवाज साफ़ दिखा रही थी ,कि वे अंदर से कुछ उखड़ी हुई -सी थी। इस बात पर, मेरे पूछने पर वे नहीं मानी ,बोली -'नहीं कोई बात नहीं !'यहाँ मैंने उन्हें आवाज सही करने हेतू काढ़ा पीने की सलाह दी !खैर ,बत्तरा साहेब ,तो पूर्व -जन्मों के अंतर्ज्ञान और संस्कारों के धनी है ,अनकही बातें ,कम कही बातों के मर्म को ,गहरे तक समझ जाते है !


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है !
 


     मैं हैरान तब हुआ ,जब उक्त बात से जुडी बात उन्होंने बोल डाली -'सर ,लगता है इन दिनों आप काफी बिजी रहे ,जो हमारी बात नहीं हुई ,,,,,,पिछले टेलि-कॉलिंगनार का शेष-भाग मैंने पढ़ा !एक-एक बात आपने बड़ी गहराई से ,मर्म के साथ और अंत में निष्कर्ष देकर लिखी !लगता है ,मनोज सर ,आप कागज -पैन साथ रखते हो !'
     मन में उनकी बात सुनकर ,सोच रहा था कि प्यार हो ,दोस्ती हो या फिर कोई भी रिश्ता ,जब आदत बन जाता है ,तो वह अपनी अहमियत खो देता है !'नहीं ,बिजी नहीं था ,कुछ लापरवाही और कुछ संशय के कारण ,आपसे बात नहीं कर पाया !,,,,और जहाँ तक गहराई और मर्म के साथ लिखने का सवाल है ,तो पहले मैं दिये टॉपिक पर लिखता था। पर फिर जीवन के अनुभवों से ,अंतर्ज्ञान हुआ कि नहीं ,दिमाग के साथ दिल से भी लिखो। जो जियो वो लिखो ,ऐसी सच्चाई लिखो ,जो दुनिया के काम आ सके !और खुद में चिंतन -मनन से ,ऐसे निष्कर्ष पैदा करो ,जो आम -जन को ,जीवन की जटिलता में दिशा दे !शिल्पा  जी ,इसी का नाम तो साहित्य है !ऐसा लेखन ,ऐसा साहित्य, जिसमें विश्व का कल्याण और परोपकार छिपा है ! ऐसा साहित्य लिखना-पढ़ना सकारात्मकता पैदा करता है और विश्व-कल्याण और परोपकार की भावनायें ,इंसान को भक्ति की ओर ले जाती है !'
     खैर ,दोस्तों ,जो भी है ,शिल्पा 'शैली जी मेरी और 'बर्बाद इंडिया 'की सबसे बड़ी प्रशंसक है !उनकी स्वादिष्ट आवाज में ,तारीफ सुनकर स्वाद आ जाता है ,मानो ऐसे लगता है ,जैसे कोई बड़ा राष्ट्रिय -पुरस्कार मिला हो ,लिखना सफल हुआ हो !अब शिल्पा जी का सम्मान बनता है, भाई ! मुख्य सम्पादक की हैसियत से मैं उनको   'बर्बाद इंडिया 'की सबसे बड़ी प्रशंसक होने की घोषणा,पुरस्कार सहित करता हूं !
     हमारे बीच का टेलि-कालिंगनार ,अपने पूरे हुस्न पर था।शिल्पा जी बोली -'मेरे बॉस मुझसे बोले ,शिल्पा ,ऐसा आपमें क्या है ,जो काम हम सीनियर होकर भी नहीं कर पाते ,वो आप कर डालते हो !कंपनी के जो ग्राहक किश्तें नहीं भर रहे होते है ,वे आगे -पीछे किश्तें भरने लगते है !'यह सुनकर मैं भी खुश था कि मेरी सखी की ऑफिस में बहुत इज्जत है !खैर,शिल्पा जी ने आगे बॉस से कहा कि 'सर ,कंपनी के ग्राहकों से मेरी बॉन्डिंग अच्छी रहती है,उनकी मजबूरी को समझती हूँ ,किश्त भरने के लिए ,जोर नहीं डालती !सर ,कोई भी समस्या ,सही समय और सही जरिया आने पर ही ,स्वयं  हल होती है !बस ,कंपनी और ग्राहकों को सब्र से काम लेना चाहिए !कंपनी के ग्राहक मुझ पर विश्वास करते है !'उनकी बात बीच में रोक ,उत्सुकता में गलतियां होती रहती है ,मैं बोल पड़ा कि 'विश्वास किया नहीं जाता ,हो जाता है!'
     और इधर मुझे ये भी लग रहा था कि अपने फ्रिज का थोड़ा मक्ख़न आज कुछ और कम करूँ !'दरअसल ,आपकी मधुर और बैलेंस आवाज लोगों पर असर डालती है और वे पॉजिटिव होकर ,एक्टिव हो जाते है !'मैं ये सब उनसे बोला ,मन में यह सब सोचते हुए भी ,कि तैनूं तां निन्द आ जांदी है ,इनहादि ग्लां सुनके ,जिवें सप्प ,सो जांदा है ,बीण दी आवाज तें !
     दरअसल , शिल्पा जी को खुद भी नहीं मालूम ,कि उनकी आवाज में जादू  है ! सुनने वाले में भी ,आवाज की आवृति ,बैलेंस ,मर्म आदि को समझने की शक्ति होनी चाहिए !वैसे तो कोई इंसान पूर्ण नहीं होता ,पर नवजोत सिंह सिद्धू के स्टाइल में कहूं तो,'मोहतरमा ,तुसी कम्प्लीट हो ,सारियां नूं करदे ,पलित्त हो !'भई ,अपनी तो बेहतरीन इंसान वाली तलाश इनसे पूरी हो गयी है !

     "बत्तरा साहब ,बस करो आप !इतनी तारीफ भी कोई मुँह पे करता है ?" 
     -"अरे , पगले मन !मैं तो सखी साहिबा की तारीफ ,फ़ोन  पे कर रहा हूँ !"

चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



Sunday, September 6, 2020

दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता ! वैश्विक -शांति हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !



दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता !

वैश्विक -शांति  हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा  

      "तिब्बत हमारी हथेली है ,तो लद्दाख ,नेपाल ,भूटान ,अरुणाचल  और सिक्किम हमारी अंगुलियाँ है !"-सन 1950 में ,दक्षिण एशिया के संदर्भ में,चीन के तत्कालीन शासन -प्रमुख माओत्से तुंग की इस सार्वजनिक टिप्पणी के आते ही ,भारत को सतर्क हो जाना चाहिए था,किन्तु तब हम राग अलापते रहे -"चीनी -हिंदी ,भाई- भाई !"और सन 1962 में चीन ने ,भारत पर आक्रमण कर ,उसका 37000 वर्ग किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र,कब्जा लिया ,जिसे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ,संसद में भूमि का निर्जन टुकड़ा बताकर ,बात को 'आया राम ,गया राम' कर दिया था। इससे चीन की हिम्मत बढ़ी ,और उसने धीरे -धीरे ,लगातार भारतीय क्षेत्र पर ,बेखौफ अपना कब्ज़ा बढ़ाना जारी रखा और परिणाम-स्वरूप आज वाली स्थिति आ गई।



     आज वैश्विक कोरोना -संकट की जिम्मेदारी के, चीन व अमेरिका के बीच आरोप -प्रत्यारोप ,अत्यधिक मानवीय -हानि ,हर प्रकार के संकटों के माहौल में ,चीन को वैश्विक विरोध,बहिष्कार ,अविश्वास ,बदनामी और निर्यात पर टिकी चाइनीज अर्थव्यवस्था को बड़े -बड़े झटके सहन करने पड़ रहे है। चीन को घेरने और उस पर लगाम कसने हेतू ,चीन के खिलाफ वैश्विक -घेराबंदी को तेज किया जा रहा है !चीन के खिलाफ अमेरिका ,भारत -ऑस्ट्रेलिया -जापान संग 'नाटो' जैसा संगठन बनाने की तैयारी में है। पूर्व में ,1991 में अमेरिका ,तिब्बत की सरकार को मान्यता देकर, उसकी स्वतंत्रता का अनुमोदन कर चुका है। और सन 1960-61-65 में तीन बार, संयुक्त राष्ट्र संघ तिब्बतियों पर, चाइना के अमानवीय अत्याचारों की निंदा कर चुका है।



   
     निकट भविष्य में ,पूर्व में हुई भूलों में सुधार करते हुए ,भारत लेह में छोटे से कार्यालय में स्थित ,तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता देकर, फ्रांस ,ब्रिटेन,कनाडा,भूटान,ताइवान ,इंडोनेशिया ,अफगानिस्तान ,वियतनाम ,दक्षिणी कोरिया ,इजराइल आदि विश्व के देशों से ,इस मुद्दे पर समर्थन प्राप्त कर ,उनसे भी तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता दिलवा सकता है। ताइवान सरकार ने तो बिना मान्यता के भी ,भारत को सैन्य -सहायता देने को कहा है। ताजा घटना-क्रम में ,चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज करते हुए ,ताइवान ने उसके एक विमान को,अपने क्षेत्र में घुसने के कारण मार गिराया है।
     भारत द्वारा चीन के खिलाफ ,सन 1962 में गठित ,मेजर जनरल सुजान सिंह वाली,गुप्त फ़ोर्स 'स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स 'को फिर से मोर्चा सँभालने हेतू तैयार किया गया है। दुश्मन को मुँह -तोड़ जवाब देने हेतू भारतीय सेना को ,महाघातक राफेल और इंगला एयर डिफेंस सिस्टम से भी सुसज्जित किया गया है।अभी हाल ही में,भारत ने हाइपरसोनिक  मिसाइल -तकनीक  का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 



     भारत द्वारा चीनी -एप्स -प्रतिबंध ,चीन से आयातित माल पर ड्यूटी -वृद्धि और चीनी ठेकों को रद्द करने आदि से भी चीन बौखला गया है। ताजा घटना-क्रमानुसार ,500 चीनी-सैनिकों द्वारा ,पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी इलाके को कब्जाने की नाकाम कोशिश हुई। चीन अवैध कब्जों ,लगातार घुसपैठ आदि चालों से सीमा -विवाद को तनावपूर्ण बना रहा है और सैन्य व राजनयिक वार्ताओं को भी सिरे नहीं चढ़ा रहा है ।दोनों के बीच सीमा -विवाद समाप्त होने की संभावना ,दिनों-दिन नगण्य होती जा रही है।



      वर्तमान परिपेक्ष्य में , रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला के ये बयान महत्वपूर्ण मानें जा रहे है।

     मास्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के एक सम्मेलन में ,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि "क्षेत्रीय स्थायित्व ,शांति और सुरक्षा हेतू आक्रामकता ,एक -दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता ,मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान ,अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान,परस्पर विश्वास का माहौल प्रमुख पहलू है।" उन्होंने आगे अपने बयान में,आंतकवाद के खिलाफ संस्थागत क्षमता विकसित  करने और पारदर्शी व् समग्रता लिए, मर्यादित वैश्विक सुरक्षा ढांचे के विकास की वकालत की।




     भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने भी ,चीन को चेतावनी दे दी ,कि "सीमा पर शांति होने तक ,हमारे व्यापारिक -सम्बन्ध ,सामान्य रूप से नहीं चल सकते। भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता व सम्प्रभुता की रक्षा हेतू दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध है और इस पर कायम रहेगा। "उन्होंने आगे कहा की कि संकट के कठिन पलों में ,भारत  चीन से सैन्य व राजनयिक स्तर पर ,सम्पर्क  व संवाद बनाये हुए है।




     चाइना से भी कुछ सवाल किये जा  सकते है कि आखिर इतने बड़े वैश्विक -विरोध को चाइना कैसे झेल पायेगा !विश्व -बिरादरी के बिना चाइना जी सकेगा ?क्या अपने करोड़ों लोगों का पेट भर पायेंगा ?क्या तिब्बत आदि देशों की सम्प्रभुता को भंग करने का नैतिक अधिकार चाइना के  पास था ?

     चाइना को इस बात का डर,आशंका और समझ भी होनी चाहिए कि आम जनता ,सरकार की कुटिल नीतियों का कभी साथ नहीं देती ,उसे तो अपने जीवन से मतलब होता है !अपने परिवार के जीवन को बचाने के लिए ,ये सरकार का प्रबल और हिंसक विरोध तक कर डालते है !वैश्विक-आक्रमण की स्थिति में चाइना में ,भविष्य में गृह-युद्ध के हालात पैदा हो सकते है।

     खोई हुई वैश्विक-साख व शक्तिशाली देश का पुनः रुतबा पाने के लिए ,सुरक्षा -परिषद की स्थाई सदस्यता-निलंबन टालने के लिए ,विभिन्न देशों से द्विपक्षीय -सम्बन्ध बेहतर बनाने के लिए ,अंतर्राष्ट्रीय- न्यायालय में लगने वाले संभावित केस को ,कमजोर और उदार करने के लिए ,आज चाइना को वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,अपने अहंकार ,हवस ,साम्राज्यवादी ,बाज़ारवादी ,भोगवादी ,मानवता विरोधी और कुदरत विरोधी (कोरोना -संकट ) नीतियों में सुधार लाकर , यू -टर्न लेना होगा।  अब शांति -दूत के रूप में चाइना को नई भूमिका निभानी चाहिए। शांति -दूत बनकर,चाइना विश्व -बिरादरी को विश्वास दिलायें कि भविष्य में वो ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा ,जिससे वैश्विक -संकट उत्पन्न हो और विश्व के विभिन्न देशों के साथ ,उसके सम्बन्ध खराब हो !वर्तमान परिस्थितियों में ,चाइना के पास उक्त उद्देश्यों को पाने के लिए,उक्त रास्ते के अलावा कोई चारा नहीं है। बस, उसे कुछ तकलीफ दायक त्याग करने होंगे !युद्ध से वह कभी भी इन उद्देश्यों की पूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पायेंगा।




      वैश्विक -शांति-प्रयासों में पहल के तौर पर ,चाइना प्रभावित देशों की सम्प्रभुता बहाल करें और तिब्बत की जमीन से भी अपने पैर पीछे हटाकर ,तिब्बत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करें।सन 1962 के समय, भारत का 37000 वर्ग किलोमीटर एरिया चाइना ने कब्जा लिया था ,वह भी लौटा दें।ऐसा करने से भारत की विदेश -नीति  /तटस्थता की नीति प्रभावित नहीं होगी।




     अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने ,चाइना ये भी कह दे ,कि पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद करना होगा और कश्मीर-राग अलापना बंद करके, भारत से अपने रिश्तें सुधारने होंगें !ऐसे पाकिस्तान ,चाइना से डरकर ,भारत को परेशान करना बंद कर देगा !वैश्विक -शान्ति -प्रयासों में फिर चाइना की भी तारीफ़ होगी !

     चूँकि हर देश सैद्धांतिक रूप से आत्म -निर्भर होना चाहिए ,इसलिए चाइना के अनावश्यक निर्यात को नियंत्रित करने का,चाइना द्वारा विश्व को आश्वासन देना होगा।




     कोरोना -संकट से जूझ रहे ,विश्व के विभिन्न देशों और विश्व -स्वास्थ्य -संगठन को,और अधिक आर्थिक सहायता चाइना को देनी होगी।

     आज आवश्यकता है ,वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,वैश्विक -शांति के प्रयासों में ,वैश्विक -उदारता,सकारात्मक सोच और विश्व के लिए सद्बुद्धि और सदभावना की !रक्त -रंजित,भीषण संभावित तीसरे विश्व -युद्ध की विभीषिका से समस्त विश्व को बचाने ,सामान्य अवस्था में लाने और सुगमता से विकास की ऒर अग्रसर करने हेतू विश्व-बिरादरी को पिछला सब-कुछ भुलाना होगा।मजबूर विश्व के पास भी ,इसके अलावा कोई चारा नहीं है।

    निष्कर्षतः चाइना को जिद्द छोड़नी होगी। अपनी विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाना होगा। बच्चें कम पैदा करने होंगें या बच्चों की पैदाइश पर ,कुछ समय प्रतिबंध लगाना होगा। ताकि दूसरे की जमीन हड़पने की जरूरत ही न पड़े ! निर्वासित जीवन की कठिनाइयों और असीम दर्द -वेदना को समझना होगा। चाइना को ये भी समझना होगा कि वैश्विक -शांति में ही चाइना और विश्व का चंहुमुखी विकास संभव है !

  चाइना चूँकि महान शक्तिशाली है,जो चाहे फैसला लें। दुनिया को बर्बाद या आबाद करना ,अब चाइना के हाथ में है !अब देखना होगा, कि चालबाज समझे जाने वाला चीन, दुनिया को किस और धकेलता है !अब ईश्वर ही ,चाइना में विश्व हेतु सद्बुद्धि और सदभावना भर पाएं -ऐसी कामना है !




-मनोज बत्तरा



(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और 'बर्बाद  इंडिया न्यूज़' के मुख्य  संपादक  है!)



crownmanojbatra@gmail.com




चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



Saturday, September 5, 2020

"मजबूत विपक्ष, लोकतान्त्रिक- ढांचे की सर्वथा मांग !"- श्री मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

करोड़ों पाठकों वाले "दैनिक ट्रिब्यून "ने, अपने द्वारा पुरस्कृत लेखक मनोज बत्तरा के विचारों को, फिर प्रमुखता से किया प्रकाशित !

"अपने संकट को, अवसर में बदले कांग्रेस !"-श्री राजकुमार सिंह

"मजबूत विपक्ष, लोकतान्त्रिक- ढांचे की सर्वथा मांग !"- श्री मनोज बत्तरा 

दिनांक -5 सितम्बर ,2020 .
राजपुरा -चंडीगढ़(पंजाब ).  (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

     बहुत बड़ी सर्कुलेशन वाले और बेहद सम्मानित पत्र "दैनिक ट्रिब्यून" से पुरस्कृत ,बर्बाद इंडिया  न्यूज़ के मुख्य संपादक,फिल्म-निर्देशक,पत्रकार व साहित्यकार  मनोज बत्तरा के विचारों /प्रतिक्रिया को ,आज "दैनिक ट्रिब्यून " के सम्पादकीय -पृष्ठ पर ,'आपकी राय' कॉलम के अंतर्गत,'सोचने का वक़्त 'शीर्षक के साथ,प्रमुखता से प्रकाशित किया गया ! जिस पर ख़ुशी जाहिर करते हुए बत्तरा ने कहा कि दैनिक ट्रिब्यून के चंडीगढ़ ,करनाल और गुड़गांव संस्करण के करोड़ो पाठकों में उनका नाम बन रहा है ,ये बड़ी उपलब्धि है !

     आपको बता दें कि दिनांक 2 सितम्बर ,2020 के दैनिक ट्रिब्यून में ,सम्पादकीय -पृष्ठ पर प्रकाशित ,श्री राजकुमार सिंह जी ने अपने लेख"अपने संकट को अवसर में बदले कांग्रेस"  में कहा ,कि दीर्घकालीन राजनितिक विरासत वाली कांग्रेस को इस बात का अहसास होना चाहिए कि पार्टी में उभर रहे असंतोष के सुरों को ताकत में कैसे बदला जायें !यह भी ध्यान रहे कि विपक्ष में रहते हुए पार्टी संघठन को मजबूत करके ही, मोदी सरकार को चुनौती दी जा सकती है !वक़्त की जरुरत है कि पार्टी  संघठन को लोकतांत्रिक स्वरूप देकर असहमतियों के स्वरों को भी सुना जाएँ ! 


   
     इस पर बत्तरा ने अपनी सहमति जताते हुए , प्रतिक्रिया दी ,कि ये लेख मेरे दिल को छू गया !लेख सटीक ,प्रगतिवादी और सकारात्मक सोच वाला था !मजबूत विपक्ष लोकतान्त्रिक- ढांचे की सर्वथा मांग है !कांग्रेस को चाहिए ,कि पार्टी में उभर रहे ,असंतोष और असहमतियों के स्वरों को प्रमुखता दें!वर्तमान परिस्थितियों में ,योग्य व अनुभवी व्यक्ति को अपना नेतृत्व सौंपें !





     पूर्व में दैनिक ट्रिब्यून ,चंडीगढ़ के मुख्य संपादक श्री राज कुमार सिंह द्वारा, अपने प्रमाणित हस्ताक्षर के साथ, सम्मान-स्वरूप, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री तथा महामहिम राज्यपाल से सम्मानित, डॉक्टर मधुकांत के लघु-कथा-संग्रह"तूणीर " की पुस्तक,बत्तरा को,पुरस्कृत करते हुए  भिजवाई गई थी ! दरअसल ,"चीनी उत्पादों के बहिष्कार की तार्किकता"  विषय पर अपने विचारों के अंतर्गत ,बत्तरा ने चीनी -सामान के बहिष्कार की पुरजोर वकालत की थी और इस बात पर जोर दिया था कि चीनी -सामान का ,जनता से पहले सरकार बहिष्कार करें!  
    6 जुलाई,2020 को बत्तरा के विचारों के आशय का सम्पादित और संक्षिप्त पत्र ,पुरस्कृत पत्र के रूप में,दैनिक ट्रिब्यून के चंडीगढ़ ,करनाल और गुड़गांव संस्करण में  प्रकाशित हुआ था।







चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





Friday, September 4, 2020

5 %कलियुग में,सांप से डर,चूहा पेड़ पर रहने लगा !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सच्ची घटना ! मार्मिक प्रसंग !!

5 %कलियुग में,सांप से डर,चूहा पेड़ पर रहने लगा !

चूहे और गिलहरी ने कराये ,बत्तरा को भूल व पाप के अहसास! रामायण के प्राय अनसुने प्रसंग याद कर ,किया पश्चाताप !

दिनांक -3 सितम्बर ,2020 .
राजपुरा (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा ).

     आज मेरे जीवन की वो सच्ची घटना घटी ,जिसने मुझमें पाप के अहसास कराये और मुझे रामायण-काल की याद दिला दी !
     अभी दो-तीन दिन पहले का ही किस्सा है !मेरे पड़ोस के दो घरों में सांप निकले ,जोकि मानवीय हाथों द्वारा मारे भी गए !दरअसल ,मेरा एरिया सांप ,बिच्छू ,छिपकलियों ,चूंहो ,कीट -पतंगों से भरा हुआ है!मैंने कई बार प्रशासन का ध्यान इस और दिलाया ,पर इसका अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकल पाया !
     मैं उस समय हैरान हो गया ,जब हमारी एक सहृदय पड़ोसन ने, मेरे घर आकर ,मुझे बताया कि भैया ,सांप हमारे फ्रिज के ऊपर बैठा था !पहले तो हम डर गए ,क्योंकि हमारे घर छोटा बच्चा है !फिर हमने वह सांप मरवा दिया !आप उस समय घर नहीं थे ,नहीं तो सांप मारने के लिएआपको बुलाते !दरअसल ,सेफ्टी के लिए मैंने पड़ोस में दो बार साँपों को मारा था ,जिसका कि बाद में मुझे अफ़सोस भी रहा ,कि जीव -हत्या ,पाप है !
     खैर ,बातें चल रही थी !पड़ोसन ने बताया कि अगले दिन घरों के पीछे जो पेड़ है ,उन्होंने उस पर एक सांप को, तीन फुट ऊपर तक चढ़ते देखा है !मुझे समझते देर न लगी कि सांप पेड़ से चढ़कर ,दीवार से टप्प कर ,घरों में घुस रहे है !पड़ोसन ने आगे मुझसे प्रार्थना की ,कि भैया ,आप घरों के पीछे ,जो शोरूम है ,उनसे कहकर पेड़ कटवाओ !और बत्तरा साहब खुश हो गए कि मौहल्ले में मेरी कितनी इज्जत है !
     चलो भाई,शोरूम वालों से इस सम्बन्ध में बात हुई और वे सब ,मामले की गंभीरता को समझते हुए मान गए !और पांच लोगों ने मिलकर ,घरों के पीछे के 7 -8 सामान्य और फलदार पेड़ काट डालें,ताकि सांप पेड़ों से चढ़कर ,घरों में न घुसे !कुछ पेड़ों को  जड़ से और कुछ को 3 -4 फुट तक ऊपर तने तक ,काटा गया !
     मैं छत पर खड़ा पेड़ों को काटने की सारी कार्रवाही देख रहा था ,कि अचानक मैंने देखा कि एक पेड़ के ऊपर लगे, एक घौंसले में २ -3 चूहे बैठे है !आसपास पॉलिथीन के लिफाफे है और कुछ गंदगी भी है !कुल्हाड़ियों की आवाज सुनकर वे सब डरकर ,नीचे भाग गए !मुझे समझते देर न लगी कि चूहों को खाने के उद्देश्य से ही ,सांप पेड़ों पर चढ़ रहे है और घरों में भी घुस आते है !शोरूम का बगीचा ,आसपास गंदे नालों ,खेतों ,छप्पड़ के कारण साँपों से घिरा रहता है !संभवत ,साँपों के डर से ,जीवन -मोह के चलते चूहें ,पेड़ पर रहने लगे हो !



     इस घटना को देखकर ,मन में विचार भी चल रहे थे कि देखो ,अभी कलियुग लगभग 5 %ही गया है और चूंहे पेड़ों पर रहने लगें !रामायण -काल की भी याद आ रही थी !रामचंदर जी ने सीता मैया से कहा था कि "ऐसा कलियुग आयेगा ,हंस चुगेगा दाना -तिनका ,कौवा मोती खायेगा !"



     मेरा विचारक मन आगे भी सोच रहा था ,कि प्रकृति का चक्र तो देखों ,सांप ,चूहे को खाता है ,हम सांप को खाते भी है और मार भी डालते है !सांप और मानव कितने पापी है ,ये विचारणीय प्रश्न है !
    किन्तु अब एक बात तो समझ आती है मुझे ,कि प्रकृति ने सांप को मुख्यता मांसाहारी बनाया ,तो उसे चूहे को मारने का हक़ है ,ये कोई पाप नहीं हुआ !और मानव सांप को सुरक्षा की दृष्टि से मारें ,तो पाप नहीं है और बेवजह मारे ,तो पाप है !परिस्थितयों के अनुसार ,पाप और पुण्य की परिभाषा बदल जाती है !वेदों में ,जीव हत्या को पाप बताया गया है ,बुद्धिमान और विवेकशील इंसान की कोशिश ये होनी चाहिए कि जीव हत्या न ही करें और सम -भाव से,सब प्राणियों में आत्मा का अस्तित्व स्वीकारतें हुए ,जीने का अधिकार प्रदान करें !क्योंकि पाप -बोध ,आत्म-ग्लानि ,समस्त प्राणियों में स्वयं के श्रेष्ठ होने का अहम ,मूढ़ता आदि ,उसके भक्ति -मार्ग में बाधक है !



     उक्त विचारों की कश्मकश मेरे अंदर चल ही रही थी ,कि क्या देखता हू ,एक नन्हीं -सी ,प्यारी -सी गिलहरी ,उन कटे हुए पेड़ के तनों पर ,मस्ती से चढ़ने लगी !कटा हुआ तना देखकर ,डरकर ,बड़ी हैरानी से घबराकर कि ये क्या हुआ ,आखिर पेड़ गया कहाँ ?वह कटे तने से उतरकर ,कहीं और भाग गई !सारा दृश्य देख मेरा मन दुःखी हो गया कि क्या तुझे ,चूहे और गिलहरी का आशियाना छीनने का कोई हक़ था !क्या पर्यावरण को नुकसान देकर तूने अच्छा किया !सीता माता ने अपने पुत्रों लव-कुश को समझाते हुए कहा था कि हरे पेड़ों से लकड़ियां मत काटो ,ये पेड़ भी जीव है !जलाने के लिए सूखी लकड़ियों का प्रयोग करों!



     आगे मन में ये विचार भी कौंध रहे थे कि अपने मौहल्ले और अपने बीवी-बच्चों की सुरक्षा तो तूने देखी ,पर इन नन्हे जीवों की सुरक्षा का क्या !इनके आशियाने का क्या !
     रामायण -काल का एक और भी प्रसंग याद आ रहा था कि सीता माता को पाने के लिए ,समुद्र बांधने के लिए ,राम-सेतू का कार्य जोरों पर था!नर ,वानर ,रीछ -भालू आदि सभी अपना सहयोग दे रहे थे !कि तभी रामचंद्र जी ने देखा कि एक नन्ही गिलहरी ,बार-बार समुन्दर में गोता लगाकर ,अपने शरीर को गीला करती है और फिर रेत में लेटकर ,रेत को अपने शरीर से चिपकती है !फिर शरीर से चिपकी रेत से, पुल के पत्थरों के बीच की दरारों को भरने की कोशिश करती है !इस मासूम गिलहरी की कर्मठता और अपने प्रति श्रद्धा -भाव देखकर राम जी ,गिलहरी को अपनी गोद में बिठाकर ,प्यार से ,अपने हाथ से सहलातें है !आज भी गिलहरियों के शरीर पर ,तीन सफ़ेद धारियां ,भगवान राम की अँगुलियों की याद दिलाती है !



     जब से ये प्रसंग मैंने सुना था ,तब से नन्ही और मासूम गिलहरियों के प्रति मेरी अपार श्रद्धा रही है !पर आज मेरे कारण उसका आशियाना उजड़ गया !गिलहरी का ही क्यों ,चूहे का भी आशियाना मेरे कारण ही उजड़ा !
     अंत में ,सारी कश्मकश का मैंने यही हल सोचा कि हम बुद्धिमान और विवेकशील प्राणी है ,किन्तु मन की मूढ़ता ,अहम ,अज्ञानता ,अपनी सुविधा देखने आदि कारणों के चलते ,पर्यावरण और जीवों को नुक्सान दे देते है !यदि हम अपने घरों की दीवारों को ही ऊँचा करवाने की सोचते ,तो  पेड़ और चूहे व् गिलहरी के आशियाने बच सकते थे !मुझे अपनी भूल का अहसास था !और रही बात सांप और चूहे के प्रकृति -चक्र की ,तो उसमे दखलंदाजी शायद नैतिक नहीं है !


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



Wednesday, September 2, 2020

"अपनी लड़ाई,हमें खुद लड़नी पड़ती है!"-शिल्पा 'शैली' -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

"बर्बाद इंडिया"की उप सम्पादक शिल्पा 'शैली ' और मुख्य सम्पादक मनोज बत्तरा के बीच हुआ ,फिर एक और टेली कॉलिंगनार !

"अपनी लड़ाई,हमें खुद लड़नी पड़ती है!"-शिल्पा 'शैली' 

दिनांक -2 सितम्बर ,2020 . 
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा )

     "बर्बाद इंडिया "की उप सम्पादक शिल्पा 'शैली ' और मेरे (मुख्य सम्पादक मनोज बत्तरा के) बीच आज हुआ ,फिर एक और टेली कॉलिंगनार !सकारात्मकता की जीवित मूर्ति और उच्च -मानवीय गुणों की खान शिल्पा 'शैली'जी ने मुझसे कहा कि "बत्तरा साहब ,पॉजिटिवटी की शिक्षा का सारा श्रेय, आपने मुझे दे दिया !दरअसल पॉजिटिवटी आपके अंदर ही थी !"
     इस बात का श्रेय न लेना ,उनका बड़प्पन और महानता ही है !मैंने आगे कहा -"सच है ,पॉजिटिवटी मेरे अंदर ही थी ,विषम परिस्थितियों या यूँ कहूं कि जीवन के थपेड़ों से डरकर ,कहीं भाग गई थी !मन के किसी कोने में ,गधे बेचकर सो रही थी !आपने सहजता से जीवन में आकर ,उसे जगा दिया !आप द्वारा प्रदत्त जीवन के 'सकारात्मकता- मूल -मंत्र' को आधार मानकर ही ,विषम परिस्थितियों से लड़ रहा हूँ और अपने जीवन को गति और दिशा दे रहा हूँ !इस हेतू आपका हार्दिक अभिनन्दन और साधुवाद !" मैंने आगे एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया कि जिस प्रकार ,अपनी शक्तियों को भूले बैठे हनुमान जी को ,जामवंत ने शक्तियों बारें याद दिलवाकर ,उन्हें सीता माता की खोज हेतू ,विशाल समंदर लंघवा दिया था ,उसी प्रकार आपने भी ,मुझमें छिपी सकारत्मकता की शक्ति को जागृत कर ,अविस्मरणीय सहयोग किया है !मेरी इस बात पर शिल्पा जी ,खिलखिला दी !


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 


     "बत्तरा साहब ,इंसान को खुद अपनी लड़ाई आप लड़नी पड़ती है !बस ,जरुरत है ,स्वयं के अंतर्मन में जागृति ,चिंतन -मनन ,सहनशीलता और धैर्य की !"शिल्पा जी आगे बोली ! 
     सच ही तो कहा, शिल्पा जी ने!यहाँ मुझे भारतीय सिंगर हर्षिता सिंह द्वारा ,पाकिस्तानी सिंगर मोमिना मुस्तेंसन का लिखा गीत "जी लिया "याद आ रहा है ,जिसका कि केंद्रीय -भाव यह था कि जीवन में आप सुख -दुःख ,दोनों देखोगें !हर परिस्थिति में आपको अपने अंदर झाकना होगा !कश्मकश में ,उलझनों में ,विषम परिस्थितियों में ,आपको खुद से ही लड़ना होगा ,खुद को जगाना होगा ,अपनी शक्तियां को पहचाना होगा !जो मुश्किल है ,उसी रास्ते को चुनकर, जीवन को आगे दिशा देनी होगी !



     हमारें टेली कॉलिंगनार की चर्चा आगे बढ़ रही थी !
     "कर्म -फलों से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के कारण ,जीवन -साथी भी आपका साथ छोड़ दे !नफरत करें ?"मैंने कहा !
     शिल्पा जी ने ,मेरे इस प्रश्न पर थोड़ी देर के लिए ,ख़ामोशी धारण कर ली !पर वे कुछ सोचकर बोली -"मैं ये सोचती हूं कि रिश्तों में यदि विश्वास ख़त्म हो जाये ,तो रिश्तों को कैसे ठीक करूँ !"
     "फ़ोर्स से रिश्तें कभी सहज नहीं होते !अंतिम सांस तक उनके सहज होने का इन्तजार होना चाहिए ,यही  रिश्तों के प्रति आपकी सच्ची श्रद्धा होगी "-मेरी बात सुनकर ,शिल्पा जी ने हामी भरी !पर ये भी सच है कि -

"जिंदगी के सफ़र में ,गुजर जाते है,जो मक़ाम !फिर नहीं आतें ,फिर नहीं आतें !"

     किसी कारण से हमारा फोन कट गया और हमारी चर्चा आगे न बढ़ सकी !पर मुझे अपने एक बिहारी मित्र शंकर भाई की याद आ गई ,वे कहा करते थे कि "जब रिश्तें उलझने शुरू हो जाएँ ,तो उन्हें वहीं छोड़ दों !ऐसा करने से रिश्तें ,उतने ही बने रहते है ,जितने कि वे है !ऐसे रिश्तें खत्म नहीं होते !सही वक़्त आने पर ,रिश्तों को सही किया जा सकता है!"क्योंकि शिल्पा जी ,"रिश्तों के भी रूप बदलते है !"
    कम पढ़ें शंकर भाई ने भी जीवन की इतनी बड़ी शिक्षा मुझे प्रदान की !नमन, उनके जीवन में रिश्तों के प्रति दृष्टिकोण को !
    बेशक हमारी बात आगे नहीं हुई ,पर शिल्पा जी के पास होने का अहसास ,काफी देर तक मुझमें बना रहा !मुझमें सवाल उठ रहे थे कि क्या हम रिश्तों के बिना जी सकतें है ?मैं तो बिल्कुल भी नहीं! मुझे तो तलाश है ,अपने जीवन में सहज और ईमानदार रिश्तों की ,जो जीवन -भर साथ चलें!
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 कलिंगनार का शेष -भाग  !


दिनांक -3 सितम्बर ,2020 . 
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा )


"बर्बाद इंडिया"की उप सम्पादक शिल्पा 'शैली ' और मुख्य सम्पादक मनोज बत्तरा के बीच हुआ कलिंगनार प्रकाशित हो चुका था ,जिसे पढ़कर शिल्पा जी ने मुझे फिर कॉल कर दिया !

     शिल्पा जी बोली -"मुझे नहीं पता,कि शंकर भाई ने किस वे में अपनी उक्त बात बोली !मैं समझती हू कि कुछ रिश्तें जीवन में ,ऐसे होते है ,जिन्हें छोड़ा नहीं जा सकता !ऐसे रिश्तें जब उलझनें शुरू हो जाये ,तो धीरे -धीरे बड़ी सावधानी से ,सहजता और समझदारी से शॉट आउट करने चाहिए !बत्तरा साहब ,आप खुद भी तो कहतें है कि मैं रिश्तों में ,लॉन्ग टाइम चलता हूँ !"
     "बिलकुल ,शिल्पा जी! रिश्तें बहुत नाजुक होते है !कोई भी रिश्ता टाइम माँगता  है !"मैंने भी अपनी सहमति जताई !

     ("धीरे -धीरे प्यार को बढ़ाना है,हद से गुजर जाना है !")

    आगे मैंने शिल्पा जी को अमूल मक्खन लगातें हुए कहा -"आप सचमुच रियल पर्सन है !और आपकी ये बात भी आज मान लेता हूँ कि हम दोनों एक जैसे है !मैंने कभी रिश्तों के आगे ,पैसों को भी कभी अहमियत नहीं दी !"
    घर पहुँचते -पहुँचते ,मैं  आधी बातें तो भूल गया !यार ,कोई मुझे यादाश्त बढ़ाने वाला टॉनिक तो पिला दो !
     खैर ,अंत में मैंने शिल्पा "शैली "जी से प्रार्थना की ,कि सकारात्मकता ,आज समाज की जरुरत है ,इसलिए खुलकर लेखन -क्षेत्र में अपना सहयोग दें !... 
     अंत में ,हमारे वार्तालाप का यहीं निष्कर्ष निकला,मैंने कहा कि "जिसे हम अंत समझते है ,दरअसल वहीँ से जीवन की शुरुआत होती है !सकारात्मकता के साथ ,स्वयं पर विश्वास ,अगर है तो ,सफलता सदैव आपके कदम चूमती है !"
     इस पर शिल्पा जी की सहमति का ,मुझे  पुरस्कार मिला !बस ,हमने बात को यहीं विराम दिया !रियली थैंक्स शिल्पा जी ,शैली जी ,जिनका मन नहीं ,बिल्कुल भी मैली जी ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा






Monday, August 31, 2020

"किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !"-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा /बर्बाद इंडिया न्यूज़।

"धोनी के बिना भारतीय क्रिकेट !"-विषय /दैनिक ट्रिब्यून/ सम्पादकीय- पृष्ठ/ "जन -संसद "कॉलम 

"किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !"-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा /बर्बाद इंडिया न्यूज़। 

दिनांक -31 अगस्त ,2020 .  
चंडीगढ़ (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

     दैनिक ट्रिब्यून ,चंडीगढ़ के मुख्य संपादक श्री राज कुमार सिंह ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले महेंद्र सिंह धोनी ,क्रिकेट जगत में ऐसे कप्तान रहे है ,जिनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में सफलता की ऊंचाइयों को छुआ ! उनकी कप्तानी ने टीम को ,टेस्ट क्रिकेट में पहली बार नंबर एक बनाया !सही मायनों में ,धोनी की विदाई से क्रिकेट की दुनिया में ,एक करिश्माई युग का अंत हुआ !
     पूर्व में,दैनिक ट्रिब्यून द्वारा,अपने सम्पादकीय- पृष्ठ पर , "जन -संसद "कॉलम के अंतर्गत "धोनी के बिना भारतीय क्रिकेट "विषय पर प्रबुद्ध व विचारशील पाठकों और बुद्धिजीवियों से विचार आमंत्रित किये गए थे !

Happy Birthday MS Dhoni India s Captain cool turns 39 i know 10 facts about mahendra  singh dhoni - HAPPY B'DAY Mahi: 39 साल के हुए महेंद्र सिंह धोनी, पढ़ें उनसे  जुड़ी 10 बड़ी बातें

     "बर्बाद इंडिया "के चीफ एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार मनोज बत्तरा ने भी उक्त विषय पर अपने विचार भेजें !बत्तरा ने कहा कि "इसमें कोई दो राय नहीं ,कि धोनी साहब ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत को ऊंचाइयों पर कई आयाम दिए! अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा ,उनका निजी फैसला है !पूरे देश को उनकी भावनाओं और फैसले का सम्मान करना चाहिए!रही बात उनके बिना भारतीय क्रिकेट की दशा की ,तो मुझे पूर्व राष्ट्रपति स्व .अब्दुल जी कलाम साहब के शब्द याद आ रहे है कि "इन्तजार करने वालों को ,सिर्फ उतना ही मिलता है ,जितना कोशिश करने वाले ,अक्सर छोड़ देते है !" पर यहाँ कलाम साहब के कहने के भाव कुछ और थे !लेकिन यहाँ मैं कहना चाहूंगा कि किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !बहुत सारे उत्साही लोग ,इस इन्तजार में रहते है कि कब उन्हें मौका मिले ,देश और परिवार का नाम रोशन करने का !धोनी का करिश्माई युग ,क्रिकेट जगत में प्रेरणा बनेगा ,नए आयाम स्थापित करेगा !ये बात दूसरी है कि धोनी की कमी, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सदैव खलेगी और उनका योगदान सदैव याद किया जाता रहेगा !" 
     हालाँकि बत्तरा के विचार जन -संसद में साझा राय नहीं बना पाएं,जबकि उनके विचार प्रासंगिक तो है ही ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा