Translate

Search This Blog

my lead

230342f92a3d4e1cead36d395b2d7b45

Saturday, August 15, 2020

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !

   

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


     उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर शिल्पा जी "शैली "द्वारा ,विषम परिस्थितयों में सकारात्मकता के भाव की मुझे शिक्षा और उसके सुखद परिणाम आने के बाद भी ,हमारे बीच सकारात्मकता को लेकर ,टेली -कालिंगनार /चर्चा चली !
     शिल्पा जी ,विल -पॉवर को समझती है!और मेरा व्यक्तित्व पूर्व -जन्म के संस्कारों से निर्मित है !इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मेरे जीवन के ,अविश्वसनीय सत्य है!शिल्पा जी जो कहती है ,जो समझाती है ,वो मुझ पर बेहद असर डालता है !मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है !मेरे अंदर उनके कारण ही ,जो सच घट रहा है ,वो ही लिख रहा हूं !
      इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मानसिक -शक्तियों की तरह ही ,सकारात्मकता /पाजिटिविटी भी एक मन की शक्ति है !इसका अनुभव करके ,हम विषम  परिस्थितयों में भी ,प्राय सुखद परिणाम ले सकते है!जीवन में सफलता ,मानव-कल्याण ,परोपकार आदि के लिए, सकारात्मक और कल्याणकारी सोच की आवश्यकता होती है!विषम परिस्थितयों में ,सामने वाले को यदि स्पष्ट रूप से ,बात के सभी पक्ष निर्भीक होकर ,सच-सच बता दिए जाएँ ,तो उसको अपनी ओर किया जा सकता है !समय मिलने से ,विषम परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाता है!मेरा मानना  है कि सकारात्मकता के भावों से भक्ति के सोपानों /सीढ़ी को पार किया जा सकता है!इससे यानी भक्ति में सकारात्मकता के भावों से,ईश्वर -प्राप्ति भी संभव है !सही ही तो है ,बड़ा -बड़ा ,ऊँचा -ऊँचा ,अच्छा -अच्छा ,कल्याणकारी -सोच का भाव ही तो "सकारात्मकता "है !मैं तो कहूंगा जी ,"सकारात्मकता "सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी है !आई लव यू ,पाजिटिविटी मम्मा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा आगे बढ़ रही थी !
     "दूध का जला ,छाछ भी फूंक -फूंक कर पीता है !क्या आपके जीवन में ,ऐसा कुछ है ?"-मेरे इस प्रश्न के उत्तर में शिल्पा जी ,बड़े शांत स्वभाव से बोली -"नहीं ,मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है !मेरे माता -पिता ने मुझे हमेशा सिखाया कि जीवन में ऐसा कोई कार्य न करों कि बाद में पछताना पड़े !और आत्म -ग्लानि में ,आप खुद की ही  नज़रों से गिर जाओ! "उन्होंने आगे ये भी कहा कि इसलिए मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करती ,जिससे बाद में पछताना पड़े !मुझमें बेहद स्वाभिमान है !मुझे अपमानित होना या मखौल का विषय बनना ,पसंद नहीं !
     सच ही तो कहा है ,सकारात्मकता की साक्षात्, जीवित मूर्ति शिल्पा "शैली "जी ने !वास्तव में ,"आत्म-ग्लानि"पश्चाताप की वो स्थिति है ,जिसमें आत्मिक दर्द -वेदना होती है !शाब्दिक अर्थ से भी तो स्पष्ट है ,आत्मा का गल जाना !बिखर जाना!
     दरअसल,आत्म-ग्लानि ,बिना सोचे -समझे किये गए कार्यों ,अहंकार युक्त गलत फैसलों आदि के बाद,आने वाले भयंकर परिणामों और उत्पन्न विषम परिस्थितयों में ,किसी भी मनुष्य में ,मनोवैज्ञानिक रूप से आ सकती है!
     आत्म-ग्लानि में ,यदि सकारात्मक -भाव है ,तो प्राय मनुष्य पश्चताप के बाद,खुद को समेटकर ,गलतियां दोबारा न करने की प्रेरणा लेता हुआ ,अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है!और यदि आत्म-ग्लानि में नकारात्मक -भाव है ,तो मनुष्य स्वयं को तुच्छ और जीर्ण-शीर्ण समझते हुए ,शर्म से आत्म-हत्या तक कर लेता है या जीवन-भर पश्चाताप में पड़ा रहता है!
     इस प्रकार ,आत्म-ग्लानि भी ,मन की ही एक स्थिति है!जोकि विभिन्न रूपों में,विभिन्न कारणों से मनुष्य  में आ सकती है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 


      ईश्वर की बनाई हुई, अद्भुत कृति/रचना ,शिल्पा "शैली "जी को मैंने अच्छे से समझ लिया है!माता-पिता द्वारा दिए गए ,संस्कारों के कारण ही ,उनमें प्राय सकारात्मकता के भाव रहते है और इसी सकारात्मकता के कारण ही,उनकी वाणी व् सुलझे व्यवहार में गजब का संतुलन है !सब दिव्य लगता है!और उनकी स्पष्टता ,भीतर की ईमानदारी ,सच्चाई और सकारत्मकता ,कहीं न कहीं स्वाभिमान पैदा करती है!तभी तो,एक सम्मानित जीवन व सम्मानित रिश्तों की चाह रखती है ,शिल्पा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा जब अपने अंतिम चरण में आई,तो शिल्पा जी ने बड़ी सहजता और कॉन्फिडेंस से कहा-"ऐसा नहीं है कि उनमे भी नकारात्मकता के भाव नहीं आते !वे स्वाभाविक है ,पर वे जल्द ही उन पर कंट्रोल कर लेती है!"
    और अंत में,निष्कर्ष रूप में ,यहीं कहना चाहूंगा कि भक्ति -सत्संग से ,अच्छा साहित्य पढ़ने से ,अच्छे लोगों की मित्रता से,अंतर्ज्ञान -चिंतन-मनन- रचनात्मकता और  माता-पिता -गुरु  के संस्कारों आदि से सकारात्मकता आती है!बस जरुरत है ,जीवन को सफल बनाने के लिए ,ईश्वर प्रदत्त इस अद्भुत "सकारात्मकता "की शक्ति को पहचानने और उसके सदुपयोग की!
     वैसे शिल्पा जी ,आपके चरण -कमल  कहाँ है ?


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा