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Wednesday, August 19, 2020

"चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


 "चुगली का मज़ा लेने वाले,तेरी भी चुगली हो रही है,मौहल्ले में !"

     "चुगली"-नाम से ही स्पष्ट है कि गली -मौहल्ले में होने वाली चूँ -चूँ ,ची -ची आदि को ही चुगली कहा जाता है और ऐसे मौहल्ले को "चुगली मौहल्ला "! अन्य नामों में बुराई ,निंदा ,कान भरना आदि भी, चुगली को ही कहते है!किसी के गुण -दोष बताना (आलोचना/समीक्षा ),निंदा या चुगली नहीं होती !चुगली के मामले में पुरुष से ज्यादा औरतें बदनाम होती है !

योगी जी: क्या केवल जुगाली करेंगी ...

     भैंस की जुगाली हो या लोगों की चुगली ,बेवजह नहीं होती !भैंस घास आदि खाने के बाद अपने मुँह से सफ़ेद झाग निकालती है ,जैसे मानो कोलगेट कर रही हो और पुरुष व औरतें स्वयं की हीनता ,कमजोरी तथा आदतन आदि के कारण चुगली करते है!कुछ हाउस वाइफ औरतों का तो घर की चारदीवारी में सारा दिन दम घुटता है ,तो वे पड़ोसन की चौखट पर पहुँच जाती है ,चुगली का अधूरा ग्रन्थ लिखने को!वैसे भी खाली दिमाग शैतान का घर होता है !मुझे याद आ रहा है ,किसी विद्वान् का कथन कि "निंदा का जन्म ,हीनता और कमजोरी से ही होता है!"
     निंदा ,बुराई ,चुगली करने वाले को "निन्दक "कहा जाता है !निन्दक मुख्यता दो प्रकार के होते है-सामान्य निन्दक और मशीनरी निन्दक !सामान्य निन्दक वे निन्दक होते है ,जो परिस्थितयों के अनुसार ,कम या ज्यादा लोगों की सामान्य रूप से चुगली -निंदा करते है!और मशीनरी निन्दक ,वो निन्दक होते है ,जो चालू मशीन की तरह,लगातार चुगली-निन्दा करते ही रहते है !वे रुकने का नाम ही नहीं लेते है !मशीनरी निन्दक ,सामान्य निन्दकों से ज्यादा खतरनाक होते है !और मशीनरी निन्दकों में, सामान्य निन्दकों से कहीं ज्यादा हीनता और कमजोरी होती है !
     दोनों प्रकार के निन्दकों में एक बात कॉमन है कि दोनों ही अपने अहम की संतुष्टि के लिए ,चुगली -निन्दा का सहारा लेते है और इनके अंतर में अकेलापन व् खालीपन भी संभवत होता है !काश ,कोई इनको समझा पाता कि जीवन का असली आनंद परोपकार ,कल्याण और ईश्वर के प्रति भक्ति आदि उच्च भावनाओं में है !दोनों ही निन्दक अपना और अपने सामने वाले श्रवणकारी शिकार का समय नष्ट कर रहे होते है !
     मौहल्ला चाहे कोई भी हो ,वहाँ थोड़ा या ज्यादा चुगली-निन्दा का साम्राज्य रहता ही है !"तारक मेहता"वाली 'गोकुलधाम सोसाइटी 'सब जगह थोड़ी होती है!मैंने एक मौहल्ला ऐसा भी देखा है ,जहाँ अंदर ही अंदर चुगली-निन्दा चलती है !पर इस मौहल्ले की ख़ास बात ये है कि यहाँ कभी झगड़ा नहीं होता !सब संभ्रांत परिवारों के स्याने लोग है!मैं तो यहीं कहूंगा कि "चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"
     मेरी नज़र में ,मौहल्ला सदभाव और सहयोगपूर्ण होना चाहिए !दिन में कितनी बार हम एक-दूसरे के मुँह -माथे लगते है !जरूरत ,सुख -दुःख में ,कम -ज्यादा एक-दूसरे के काम आते ही है! क्या ये छोटी बात है ?मौहल्ला भी एक वृहद परिवार है और पडोसी इस परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा!सारी उम्र जब साथ रहना है ,तो शूद्र और निम्नतर व्यवहार क्यों ?
    समझदारी इसी में है कि पहले तो किसी निन्दक को अपने पास बैठने न दें!और यदि आप ऐसा न कर पाएं ,तो उसे स्पष्ट बोलने का साहस अवश्य दिखाएँ कि किसी की बुराई हमसे न करें !हमारी फितरत सबसे मेलजोल वाली है !

Twitter पर @zoomtv: "Bollywood @ 13 megapixels - Gandhi Ji ke ...

     एक बार आपने निन्दक से किसी की चुगली -निन्दा सुन ली ,तो उसे आगे का रास्ता मिल जायेगा !क्योंकि आपको मज़ा आने लगता है ,दूसरों की बुराई सुनने में !तब आपको निन्दक अपना सगा रिश्तेदार लगने लगता है!आप उस पर अंधविश्वास करके, अपने भेद देने लगते है और वह महान निन्दक आपको कहाँ-कहाँ मशहूर कर देता है ,आपको पता चलना तो दूर ,आईडिया तक नहीं होता आपको, कि आप बदनाम हो चुके है !
     ऐसे निन्दक किसी न किसी बहाने आपके दिल और घर में घुसते है !अपनी तारीफ और इज्ज़त ये मौहल्ले के हर घर से चाहते है !पर दूसरे की इज्जत का जनाजा हर वक़्त ,निन्दा कर-कर निकालते रहते है !माफ़ कीजियेगा ,एक कहावत है कि -"ये गूं भी वहीं खाते है ,जहाँ की चुगली करते है !"
     यदि मौहल्ला "चुगली मौहल्ला"है,तो पड़ोसियों का दोगलापन और झूठे रिश्ते हमेशा आपको तकलीफ देंगे !सकारात्मक /पॉज़िटिव विचार,परस्पर सहयोग और सम्मान से हम  एक -दूसरे के जीवन में खुशबू बिखेरें -ऐसा विचार मन में ला,प्रण लें कि न बुरा कहेंगे ,न बुरा सुनेंगें !

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चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



Saturday, August 15, 2020

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !

   

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


     उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर शिल्पा जी "शैली "द्वारा ,विषम परिस्थितयों में सकारात्मकता के भाव की मुझे शिक्षा और उसके सुखद परिणाम आने के बाद भी ,हमारे बीच सकारात्मकता को लेकर ,टेली -कालिंगनार /चर्चा चली !
     शिल्पा जी ,विल -पॉवर को समझती है!और मेरा व्यक्तित्व पूर्व -जन्म के संस्कारों से निर्मित है !इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मेरे जीवन के ,अविश्वसनीय सत्य है!शिल्पा जी जो कहती है ,जो समझाती है ,वो मुझ पर बेहद असर डालता है !मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है !मेरे अंदर उनके कारण ही ,जो सच घट रहा है ,वो ही लिख रहा हूं !
      इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मानसिक -शक्तियों की तरह ही ,सकारात्मकता /पाजिटिविटी भी एक मन की शक्ति है !इसका अनुभव करके ,हम विषम  परिस्थितयों में भी ,प्राय सुखद परिणाम ले सकते है!जीवन में सफलता ,मानव-कल्याण ,परोपकार आदि के लिए, सकारात्मक और कल्याणकारी सोच की आवश्यकता होती है!विषम परिस्थितयों में ,सामने वाले को यदि स्पष्ट रूप से ,बात के सभी पक्ष निर्भीक होकर ,सच-सच बता दिए जाएँ ,तो उसको अपनी ओर किया जा सकता है !समय मिलने से ,विषम परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाता है!मेरा मानना  है कि सकारात्मकता के भावों से भक्ति के सोपानों /सीढ़ी को पार किया जा सकता है!इससे यानी भक्ति में सकारात्मकता के भावों से,ईश्वर -प्राप्ति भी संभव है !सही ही तो है ,बड़ा -बड़ा ,ऊँचा -ऊँचा ,अच्छा -अच्छा ,कल्याणकारी -सोच का भाव ही तो "सकारात्मकता "है !मैं तो कहूंगा जी ,"सकारात्मकता "सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी है !आई लव यू ,पाजिटिविटी मम्मा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा आगे बढ़ रही थी !
     "दूध का जला ,छाछ भी फूंक -फूंक कर पीता है !क्या आपके जीवन में ,ऐसा कुछ है ?"-मेरे इस प्रश्न के उत्तर में शिल्पा जी ,बड़े शांत स्वभाव से बोली -"नहीं ,मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है !मेरे माता -पिता ने मुझे हमेशा सिखाया कि जीवन में ऐसा कोई कार्य न करों कि बाद में पछताना पड़े !और आत्म -ग्लानि में ,आप खुद की ही  नज़रों से गिर जाओ! "उन्होंने आगे ये भी कहा कि इसलिए मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करती ,जिससे बाद में पछताना पड़े !मुझमें बेहद स्वाभिमान है !मुझे अपमानित होना या मखौल का विषय बनना ,पसंद नहीं !
     सच ही तो कहा है ,सकारात्मकता की साक्षात्, जीवित मूर्ति शिल्पा "शैली "जी ने !वास्तव में ,"आत्म-ग्लानि"पश्चाताप की वो स्थिति है ,जिसमें आत्मिक दर्द -वेदना होती है !शाब्दिक अर्थ से भी तो स्पष्ट है ,आत्मा का गल जाना !बिखर जाना!
     दरअसल,आत्म-ग्लानि ,बिना सोचे -समझे किये गए कार्यों ,अहंकार युक्त गलत फैसलों आदि के बाद,आने वाले भयंकर परिणामों और उत्पन्न विषम परिस्थितयों में ,किसी भी मनुष्य में ,मनोवैज्ञानिक रूप से आ सकती है!
     आत्म-ग्लानि में ,यदि सकारात्मक -भाव है ,तो प्राय मनुष्य पश्चताप के बाद,खुद को समेटकर ,गलतियां दोबारा न करने की प्रेरणा लेता हुआ ,अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है!और यदि आत्म-ग्लानि में नकारात्मक -भाव है ,तो मनुष्य स्वयं को तुच्छ और जीर्ण-शीर्ण समझते हुए ,शर्म से आत्म-हत्या तक कर लेता है या जीवन-भर पश्चाताप में पड़ा रहता है!
     इस प्रकार ,आत्म-ग्लानि भी ,मन की ही एक स्थिति है!जोकि विभिन्न रूपों में,विभिन्न कारणों से मनुष्य  में आ सकती है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 


      ईश्वर की बनाई हुई, अद्भुत कृति/रचना ,शिल्पा "शैली "जी को मैंने अच्छे से समझ लिया है!माता-पिता द्वारा दिए गए ,संस्कारों के कारण ही ,उनमें प्राय सकारात्मकता के भाव रहते है और इसी सकारात्मकता के कारण ही,उनकी वाणी व् सुलझे व्यवहार में गजब का संतुलन है !सब दिव्य लगता है!और उनकी स्पष्टता ,भीतर की ईमानदारी ,सच्चाई और सकारत्मकता ,कहीं न कहीं स्वाभिमान पैदा करती है!तभी तो,एक सम्मानित जीवन व सम्मानित रिश्तों की चाह रखती है ,शिल्पा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा जब अपने अंतिम चरण में आई,तो शिल्पा जी ने बड़ी सहजता और कॉन्फिडेंस से कहा-"ऐसा नहीं है कि उनमे भी नकारात्मकता के भाव नहीं आते !वे स्वाभाविक है ,पर वे जल्द ही उन पर कंट्रोल कर लेती है!"
    और अंत में,निष्कर्ष रूप में ,यहीं कहना चाहूंगा कि भक्ति -सत्संग से ,अच्छा साहित्य पढ़ने से ,अच्छे लोगों की मित्रता से,अंतर्ज्ञान -चिंतन-मनन- रचनात्मकता और  माता-पिता -गुरु  के संस्कारों आदि से सकारात्मकता आती है!बस जरुरत है ,जीवन को सफल बनाने के लिए ,ईश्वर प्रदत्त इस अद्भुत "सकारात्मकता "की शक्ति को पहचानने और उसके सदुपयोग की!
     वैसे शिल्पा जी ,आपके चरण -कमल  कहाँ है ?


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा




   




Tuesday, July 28, 2020

शिल्पा "शैली "पुरस्कृत और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर नियुक्त !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी शिल्पा "शैली "पुरस्कृत और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर नियुक्त !

27 जुलाई ,2020 . 
चंडीगढ़ (पंजाब ). (चीफ एडिटर मनोज बत्तरा द्वारा ). 

     प्रिय पाठकों !मेरा मानना है कि आपके जीवन में जिस इंसान ने अपनी भूमिका निभानी होती है ,उसे परिस्थितियाँ आपके जीवन में अवश्य लेकर आती है!जीवन में हर एक चीज का समय कुदरत ने पहले से ही निश्चित कर रखा है !फिर अच्छी व बुरी आत्माएं अपना -अपना समूह बनाकर इस दुनिया में कार्य करती है और इस जन्म के या पूर्व जन्मों के कर्मफल हमारे आगे आते रहते है!अब यहाँ कर्म-बंधन से मुक्ति अलग आध्यात्मिक विषय है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 

     मेरे जीवन की परिस्थितियाँ शिल्पा "शैली"जी को, मेरे जीवन में सहजता और प्रभावशाली ढंग से लेकर आई !मानो ,उनका मेरे जीवन में आना पहले से ही तय था !
     विषम और प्रतिकूल परिस्थितयों में भी सकारात्मक ,पॉज़िटिव सोच के साथ ,निरंतर सतत ,ठोस प्रयास का उच्च सन्देश उन्होंने मुझे दिया !शिल्पा "शैली"जी के वाक्यों को ईश्वरीय सन्देश मानकर ,मैंने जब अमलीजामा पहनाया ,तब काफी हद तक परेशानी से मुक्ति भी हो गई !
     शिल्पा "शैली "जी का सहयोगात्मक रवैया ,अपनत्व ,मानवता ,दर्शन ,जीने की कला ,मातृत्व ,कर्तव्यनिष्ठा ,मृदुल वाणी,ईश्वर के प्रति भक्ति-भाव ,अपने जीवन में मर्यादा (राम )और आर्ट ऑफ़ लिविंग (कृष्ण )का सामंजस्य और उनका सुलझा व्यक्तित्व आदि ईश्वर -रुपी शिल्पकार का, उनके रूप में शिल्प ही तो है!सचमुच,वे उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी है !मैं तो भई ,उनसे बेहद प्रभावित हूँ और नतमस्तक हूँ ,उनके दिव्य व्यक्तित्व के आगे !
     शिल्पा "शैली "जी के महान व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ही ,मैंने उन्हें पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है ! सम्मान -स्वरूप उन्हें एक पत्रिका भेंट की जा रही है तथा शिल्पा "शैली "जी को "बर्बाद इंडिया "के संपादक -मंडल में को -एडिटर नियुक्त किया जा रहा है !ताकि शिल्पा जी समाज को सही और सकारात्मक दिशा देने में ,अपनी अहम भूमिका निभा सकें !
     शिल्पा "शैली"जी की रचनात्मकता ,सृजन और सकारत्मकता के नवीन व विविध आयाम स्थापित करेंगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





Wednesday, July 8, 2020

विकास दुबे जैसे अपराधियों को राजनितिक सांठ -गांठ पर कैसे रोक लगे ?-बर्बाद इंडिया /मनोज बत्रा (एडिटर )

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


अपराधियों को राजनितिक -संरक्षण /सांठ -गांठ पर कैसे रोक लगे ?

     कुख्यात अपराधी विकास दुबे द्वारा, कानपुर में एक डी एस पी समेत आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या का दुस्साहस,अपराधियों का राजनितिक सांठ-गांठ  स्पस्ट करता है। समय-समय पर कोर्ट और चुनाव- आयोग इस दिशा में पहल करते रहे है, किन्तु राजनितिक दलों की इच्छा- शक्ति के बिना, तमाम कोशिशें  विफल रही है!

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      एक विद्वान ने कहा था कि अपराधी जन्मजात नहीं होते ,बल्कि बनाये जाते है !बहुत सारे कारण  है ,जिनसे अपराधी बन जाते है या बनायें जाते है !जैविक- कारण ,मनोवैज्ञानिक -कारण ,गरीबी ,बेरोजगारी ,भौतिकवाद ,जटिलताएं,आगे बढ़ने की होड़ ,धन-तन-पिपासा ,अतिमहत्वांक्षा आदि ही ऐसे ही प्रमुख कारण है !अपराधियों को मुख्यतया चार श्रेणियों -स्वाभाविक ,सामान्य ,मशीनरी और सफेदपोश अपराधी ,में बांटा जा सकता है !सर्वप्रथम ,सकारात्मक वैचारिक -क्रांति के साथ-साथ ,निश्चित रूप से व्यवस्था और नीतियों में परिवर्तन करके ,इन कारणों को कम करना होगा ,ताकि अधिकांश अपराधी बने ही न !




    इसके पश्चात ,अपराध और अपराधी को पनपने ही न दिया जाये !इसके लिए प्रशासन और कानून को हाईटेक  व सख्त होना होगा !सविंधान में परिवर्तन करके ,पुलिस को राज्य -सूची के साथ ही ,केंद्र -सूची में भी डालने की आवश्कयता है ! स्थानीय -स्तर पर राज्य -पुलिस ,केंद्रीय -बल ,सरकारी गुप्तचर-विभाग ,सम्बंधित NGO और सामाजिक-कानूनी संस्थाओं आदि के प्रतिनिधियों व सदस्यों को संयुक्त -रूप से संगठित कर ,प्रशासनिक गतिविधियों को पारदर्शी रूप में अंजाम देना होगा !अपराधियों में  इस संयुक्त -प्रशासन और सख्त कानून का डर भी अपराध पर निश्चित रूप से अंकुश लगाएगा !

www.ujalahiteshiexpress.com/admin_privacy/image...


   अब मुख्यता ,अपराधियों को राजनितिक -संरक्षण /सांठ-गांठ पर कैसे रोक लगे ?इसके लिए ,एक ऐसे कानून के निर्माण और शत -प्रतिशत क्रियावन्यन की अतिआवश्यकता है ,जो स्वच्छ राजनीति  के लिए, ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले ,पढ़े -लिखे देशभक्त लोगों को ही मुख्यता ,लोकतान्त्रिक परम्पराओं और मूल्यों का हिस्सा बनायें !यहाँ सविंधान की मूल -भावना और उदेश्यों का भी ध्यान रखा जाएँ!



   साथ ही राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों में भी वृद्धि की जाये,कि यदि सरकार ,विपक्षी-दल या अन्य दल /संस्था /संगठन आदि भर्ष्टाचार व आपराधिक गतिविधियों या अपराधियों को संरक्षण/सांठ-गाँठ में लिप्त पाया जाता है ,तो उनकी तुरंत बर्खास्ती हो!उनकी चल-अचल संपत्ति जब्त की जाएँ और उन पर आपराधिक व देश-द्रोह का मुकदमा चलाया जाये !और ऐसे केसों में त्वरित फैसला हो!




चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





Monday, July 6, 2020

तेल के दामों में कमी का लाभ जनता को क्यों नहीं ?-बर्बाद इंडिया /मनोज बत्रा (एडिटर )

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


तेल के दामों में कमी का लाभ जनता को क्यों नहीं ?
    
  Fuel Price: Petrol and diesel prices reduced again due to fall in ...  

     बजट -निर्धारण में धन -आगमन और विभिन्न क्षेत्रों के विकास व लोक-कल्याणकारी योजनाओं आदि पर व्यय ,सब निश्चित होता है। सैद्धांतिक रूप और आर्थिक -दृष्टिकोण से ,सरकार आय -व्यय के असंतुलन पर ,घाटे की अर्थव्यवस्था को अपनाती है और प्राय उसका प्रयास रहता है कि वह इस घाटे की अर्थव्यवस्था को कम से कम अपनाएं। 
     इसके साथ ही ,व्यावहारिक रूप से ,सरकार की सोच यह भी रहती है कि वह लोक -कल्याणकारी योजनाओं को भी बजट के अनुसार चलाएं ,न कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों के उतार -चढ़ाव के रहते ,जनता को अतिरिक्त लाभ पहुंचायें !क्योंकि इसके पीछे कहीं न कहीं सरकार की सोच ,प्राय लोक -कल्याणकारी होते हुए भी ,व्यापारिक रहती है। वह अपना राजस्व कम कर ,बजट को प्रभावित नहीं होने देती !वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों के गिरने का लाभ उठाते हुए ,राजस्व बढ़ाती है और घाटे की अर्थव्यवस्था को कम करती है।फलस्वरूप जनता को ये वाले लाभ मिल नहीं पातें !

Gold And Silver Rate On 8th June 2020, Bullion Rates In Major ...

    और सरकार के इस व्यावहारिक रूप का दूसरा पक्ष भी है!अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों के बढ़ने पर ,सरकार दोहरापन दिखाती है। वह जनता पर बढ़ी कीमतों का बोझ डाल देती है!जोकि नैतिक नहीं है !बस यहीं से सरकार पर ऊँगली उठनी शुरू हो जाती है। इसके पीछे भी दो कारण समझ आते है - सरकार द्वारा राजस्व बढ़ाना और घाटे की अर्थव्यवस्था को कम करना !पर अगर सूक्ष्म -रूप से विचार किया जाएँ ,तो संभवतः राजस्व बढ़ाने के विकल्प  व संसाधनों की कमी ,भर्ष्टाचार ,आर्थिक -नीतियां ,आर्थिक -विषमता,उपनिवेश और एक सम्रग आर्थिक दृष्टिकोण आदि सरकार के जनता के प्रति सौतेले व्यवहार के प्रमुख कारण है! 
    एक लोक-कल्याणकारी सरकार को संविधान के लोक-कल्याणकारी नीति -निर्देशक तत्वों का स्वेच्छा से पालन करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि तेल के दामों में अनावश्यक वृद्धि करने और आम जनता पर अनावश्यक कर लगाने से बचना चाहिए। अन्यथा ,विशेषतः किसानों की परेशानियां बढ़ेगी और आम जनता को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितयों में देश को आज उदार नीति की आवश्यकता है। 

  किसान क्यों रो रहे हैं प्याज़ के ...
    
  
चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



     

Tuesday, June 30, 2020

"बर्बाद इंडिया" के प्रमुख लिंक !-चीफ एडिटर -मनोज बत्तरा

"बर्बाद इंडिया" के प्रमुख लिंक !




ईमेल -
crownmanojbatra@gmail.com

वेबसाइट -

https://barbaadindianews.blogspot.com/2020/05/blog-post_8.html?fbclid=IwAR2_7bny7CS3GxQ9kEHVT-sNYQfsAKVTeVU5IzqPRhpU8MyUkCRLr5ihqWI

फेसबुक -पेज -

https://www.facebook.com/officialbarbaadindia/

फेसबुक -अकाउंट -

https://www.facebook.com/crownmanojbatra

फेसबुक -समूह -

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ट्विटर-

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यूट्यूब -वीडियो -

https://youtu.be/cYKirZXK-0w?fbclid=IwAR1-Dses6yLPBpnCm--ZLfUm8_QYNdKQJW4ZlLNT6YlWzdg4wepBRmo5jFw

https://www.youtube.com/watch?v=B0YAOkRlqHo&t=13s&fbclid=IwAR2xKm1CH_cG9DoHkcXupV-IE7DRHVZShhYxWAH1dkdYO7tzFUJOSA1YOns


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा

https://www.youtube.com/watch?v=B0YAOkRlqHo&t=13s&fbclid=IwAR35oAyFjXlgi9hR-T6N73KxwHaH-mLgdVOI93YOTX1d6G-Ft5KU2ocN6Ws




Monday, June 29, 2020

15 देशों में ,"बर्बाद इंडिया "के बढ़ते कदम !हमारे उद्देश्य व जानकारी !-बर्बाद इंडिया /मनोज बत्रा (एडिटर )

हमारे बारे में व सम्पर्क !

     ई ,2020 ईसवी में प्रारम्भ हुआ, ऑनलाइन न्यूज़ वेबपोर्टल -"बर्बाद इंडिया, "अपने शीर्षक- नाम ,शैली ,विविधता आदि कई कारणों से ,बड़ी तेजी के साथ भारत सहित ,दुनिया के विभिन्न देशों में पसंद किया जा रहा है! 




मुख्य-संपादक आचार्य मनोज बत्तरा के विषय में !

     "बर्बाद इंडिया "के मुख्य संपादक आचार्य मनोज बत्तरा है!पूर्व -जन्म के संस्कारों से उनका व्यक्तित्व निर्मित है !सतयुग में वे एक साध्वी थे !अब पुनः जन्म में पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,भक्ति परोपकार ,विश्व-कल्याण आदि उनके जीवन के अविश्वनीय सच है !वे मुख्यत :एक विचारक ,दार्शनिक और नवीन विश्व के स्वप्न -द्रष्टा है !
     वे लेखन ,संपादन ,साहित्य ,स्वतंत्र पत्रकारिता ,अध्यापन ,फिल्म -निर्देशन और समाज-सेवा आदि क्षेत्रों से जुड़ें रहे है !








     हिंदी -उर्दू -साहित्य और फिल्मस की विभिन्न विधायें -लेख ,सम्पादकीय ,लघु कथा ,आत्मकथा ,उपन्यास ,कविता ,गीत ,ग़ज़ल ,शेरों -शायरी ,डायरी ,नाटक ,फिल्म -पटकथा ,संवाद,निर्देशन आदि उनकी प्रमुख विधाएँ है !


      अमर उजाला ,दैनिक जागरण ,दैनिक ट्रिब्यून ,दैनिक शाह टाइम्स,दैनिक मुज़फ्फरनगर बुलेटिन ,उत्तम बुलेटिन ,विज्ञान प्रगति ,समय की धारा  आदि विभिन्न 20 से अधिक पत्र -पत्रिकाओं से वे जुड़े रहें !








हमारा उद्देश्य !

     1 . झूठी और व्यावसायिक पत्रकारिता आदि से दूर रहते हुए ,देश की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करना !



     2. कम पढ़े -लिखें लोगों ,सामान्य जनता और क्रन्तिकारी विचारों वाले व्यक्तियों को स्वतंत्र -पत्रकारिता,संपादक को पत्र -लेखन  और समाज-सेवा से जोड़ना तथा उन्हें मीडिया की शक्ति और स्टेटस का अनुभव कराना !





    3. हर क्षेत्र की सही ,सच्ची ,सटीक, प्रमाणिक,अनछुई और सकारात्मक खबरें,सम -सामयिक खबरें और क्षेत्रीय समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित करना !
    4. विभिन्न प्रकार की रचनाओं ,आलेखों आदि को प्रमुखता से प्रकाशित करना !

हमसे संपर्क करें ! 

official पेज -

https://www.facebook.com/officialbarbaadindia/

ईमेल -

crownmanojbatra@gmail.com



-चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा 








 




Tuesday, June 23, 2020

चीनी सामान का, जनता से पहले सरकार बहिष्कार करें!-मनोज बत्रा #बर्बाद इंडिया /मनोज बत्रा (एडिटर )

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


चीनी उत्पादों के बहिष्कार की तार्किकता !



चीनी सामान का, जनता से पहले सरकार बहिष्कार करें!-आचार्य मनोज बत्रा 

India said tata-byebye to Chinese products by boycotting it

23 जून ,2020 
चंडीगढ़ (पंजाब )(मनोज बत्तरा द्वारा ). 

     देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग समय -2 पर ,पूर्व में उठती रही है !क्योंकि बहुत सारे लोग स्वदेशी सामान के उपयोग को निश्चित करके ,भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देना चाहते है!आज वर्तमान में ,गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की घात लगाकर,चीनी सैनिकों द्वारा निर्मम हत्या,उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया !

हर कोई दुत्कार रहा चीन में बने ...

    फलस्वरूप प्रत्युत्तर में ,चीनी सामान के बहिष्कार की मांग ,भारत में जोर पकड़ रही है !
  क्या इस दिशा में सरकार के पास कोई ठोस नीति है ?इस प्रश्न के जवाब में यही कहा जा सकता है कि नहीं है !क्योंकि सरकार का पूर्व व्यवहार इस पक्ष में दिखाई नहीं देता !वीवो जैसी कम्पनी को लगभग 441 करोड़ के कंटरोपट /टेंडर दिए जाते है ! पटेल की मूर्ति तक चीन से मंगवाई जाती है !ये मूर्ति देश में बन सकती थी !

OLX पर 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' को बेचने ...

  क्या हम चीनी सामान का विकल्प दे सकते है ?शायद समान विकल्प नहीं दे सकते !कुछ विभिन्न उत्पादों के लिए अनुपलब्ध कच्चा माल,चीन से ज्यादा प्रोडक्शन ऑफ़ कास्ट,उच्च क्वालिटी और उच्च टेक्नोलॉजी का आभाव ,पर्यावरण व श्रम कानूनों का सख्त होना तथा शिथिल प्रशासन आदि इसके पीछे के कारण है!
  क्या लोग सस्ते का मोह छोड़कर ,देसी उत्पादों को प्राथमिकता देंगे ?देखिए ,जब प्रश्न देश -भक्ति का होता है ,मातृभूमि का होता है ,तो देशभक्त जनता सस्ते का मोह नहीं करेंगी !  देसी उत्पादों को प्राथमिकता जरूर देगी ! परिणाम आने शुरू तो हो गए है !बहुत सारे लोगो ने चीनी एप्स डिलीट किये है !

RepublicDay2019: आज भी दिल को छू लेते हैं ये ...

  और अगर देश में स्वदेशी वस्तुओं के अधिकतम उपयोग का कानून बन जाये !कम आर्थिक -विषमता हो !धन का समान वितरण हो !प्राकृतिक संसाधनों पर समाजवादी व साम्यवादी दृष्टिकोण हो !भ्र्ष्टाचार खत्म हो ,तो देश आर्थिक रूप से सबल बन जायेगा !
    किन्तु "जैसा राजा ,वैसी प्रजा"वाली कहावत को भी नहीं भूलना चाहिए !यदि सरकार चीनी सामान के बहिष्कार की पहल नहीं करेंगी ,तो हममें से बहुत सारे भोले-भाले लोग ,स्वदेशी के महत्व को समझ नहीं पाएंगे !भारत सरकार को चाहिए कि वीवो सहित समस्त चीनी कंपनियों के कंटरोपट ,टेंडर रद्द करें !चीनी सामान के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएं ! 
   निष्कर्षः चीन को सबक सीखने के उद्देश्य से ,आर्थिक चोट पहुँचाने के लिए ,भारत सरकार को ,जनता से पहले बहिष्कार करना होगा !

Modi should learn from Nehru to improve india-china relations ...


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा

https://www.youtube.com/watch?v=B0YAOkRlqHo&t=13s&fbclid=IwAR35oAyFjXlgi9hR-T6N73KxwHaH-mLgdVOI93YOTX1d6G-Ft5KU2ocN6Ws

Monday, June 15, 2020

सुशांत सपने तोड़ गया (श्वेता सिंह )/अंदर बहुत दर्द छिपे होंगें सुशांत में !(मनोज बत्रा )-बर्बाद इंडिया/मनोज बत्तरा(एडिटर)


Bollywood actor Sushant Singh Rajput commits suicide- 


सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


सुशांत सिंह राजपूत (अभिनेता )को सच्ची श्रद्धांजलि ! 


     “अगर आपको सपने देखने का सलीका आता है और आपको उस सपने में विश्वास है, तो वो हो जाता है!” सुशांत ने अपने इंटरव्यू में, मुझसे कहा था! कौन जानता था, सपने देखने का सलीका जानने वाला, सपने तोड़ जाएगा! एक छोटे से शहर का, छोटा- सा लड़का !"       
-श्वेता सिंह (न्यूज़ एंकर ,आज तक )

Sweta Singh Wiki, Age, Husband, Children, Family, Biography & More ...

    "यूँ भी तन्हा हुए है लोग ,लोग अपनों के बीच ,कि मुस्कुरातें लब रहें और आँखें हमेशा नम रही !मौत की सूली पर चढ़ गए वो ,जिनकी दिल की बातें रही ,अनकही !"

-कवियत्री रेखा रुद्राक्षी (नई दिल्ली )




अभिनेत्री दीप्ति नवल की ,सुशांत के लिए संवेदना !(दैनिक ट्रिब्यून ,चंडीगढ़। दिनांक -17 जून 2020 )




     "सफलता भी कोई सुख नहीं है !अंतर- मन की चाहतों का ,इच्छाओं का ,तृप्ति का कोई अंत नहीं है! अवसाद में आत्महत्या तक कर ली जाती है !सुशांत की मौत से ऐसा लगता है !अंदर बहुत दर्द छिपे होंगें ,सुशांत में !
      कुछ लोग जैसे अभिनेत्री कंगना रणावत ,इसको सुशांत सिंह राजपूत की प्लांड मर्डर मान रही है !पूरे मामले की जाँच होनी चाहिए !मेरी सुशांत को सच्ची श्रद्धांजलि !"

-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा (बर्बाद इंडिया न्यूज़ ) 

चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा

https://www.youtube.com/watch?v=B0YAOkRlqHo&t=13s&fbclid=IwAR35oAyFjXlgi9hR-T6N73KxwHaH-mLgdVOI93YOTX1d6G-Ft5KU2ocN6Ws


Sunday, May 17, 2020

हल्ला बोलने या भौंकने से नहीं ,दोहरी -तिहरी सामाजिक -भूमिका से लेस होना होगा मीडिया को !# "बर्बाद इंडिया" न्यूज़/मनोज बत्तरा (चीफ एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से! 


"मीडिया की दुर्दशा!"

     देश में लोकतंत्र के रक्षक के रूप में,मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है! पर भारत में मीडिया असंगठित है! मीडिया- कर्मियों की सुरक्षा का कानून लगभग नहीं है!महंगाई के कारण ,पत्र -पत्रिकाओं के प्रकाशन में बेहद कठिनाई आती है!इस क्षेत्र में भी बड़े मगरमच्छ है ,जिनके सामने खड़े होना ,मतलब कि हाथी के सामने चींटी का खड़ा होना है!सरकारी विज्ञापन और बड़ी कम्पनियों के विज्ञापन आदि मिलने में बेहद कठिनाई है!मुझे हंसी भी आती है,कि सविंधान से मिला "विचारो की अभिव्यकिती" का अधिकार कितना महंगा है !
   सचमुच ,मीडिया(विशेषकर क्षेत्रीय मीडिया ) की दुर्दशा से अत्यंत दुःखी भी हूँ !इसलिए कुछ नया करने की प्रेरणा हुई हैं !आपका सहयोग अपेक्षित है !

Dakhal Vishes News


पत्रकारिता:चुनौतीपूर्ण और जोखिमों से भरी !

     पत्रकारिता-क्षेत्र अत्यंत चुनौतीपूर्ण और जोखिमों से भी भरा है!हर समय स्वयं के साथ किसी अनहोनी -अप्रिय घटना और असामाजिक -तत्वों से जान का खतरा आदि सदैव बना रहता है।


नफ़रत डिजिटल, हिंसा असल: बहुसंख्यक ...

    देश में पत्रकार-सुरक्षा -कानून का मुख्यता अभाव है। फिर भी लोग देश -समाज की सेवा के लिए और मीडिया की शक्ति व स्टेटस को अनुभव करने के लिए पत्रकारिता से जुड़ते है।

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समाज -सेवा भी आपका दायित्व !

    मीडिया सिर्फ समाचार प्रकाशित करके ,सिर्फ हल्ला बोले या भौंके  ,ये मुझे मंजूर नहीं !मीडिया को दोहरी ,तिहरी---भूमिका निभानी होगी। 
   सम्बंधित अधिकारियों या विभाग को न्यूज़ /रचना आदि की कटिंग /पिक्स अपने लेवल पर अपनी ही ईमेल से या अपने खर्चे पर डाक से भेजनी होगी।



   समस्या के समाधान और सामाजिक गतिविधिओ में अपने लेवल पर अपना निस्वार्थ योगदान देना होगा।


Page 1 दिल्ली, गुरुवार 8 अगस्त, 2019 मूल्य : 1 रुपए ...



चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा

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