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Friday, June 12, 2020

नामर्द मोदी जी!प्रियंका चतुर्वेदी को दिए,पत्रकार मनोज बत्रा ने मुँह -तोड़ जवाब !-बर्बाद इंडिया न्यूज़/मनोज बत्रा(एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !




मोदी जी को नामर्द कहने पर ,
पत्रकार मनोज बत्रा ने दिए ,कांग्रेसी लीडर रही, 
प्रियंका चतुर्वेदी को मुँह -तोड़ जवाब ! 


चंडीगढ़ (पंजाब )(मनोज बत्तरा द्वारा ). 

     कांग्रेसी लीडर रही ,प्रियंका चतुर्वेदी ने पूर्व में यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी जी एक नामर्द है !ऐसे नामर्द को देश का प्रधानमंत्री क्यों बनाया गया ?अगर मोदी जी नामर्द नहीं है ,तो इस बात को साबित करें,कि वो मर्द हैं !मोदी जी मेरे साथ सम्भोग /सेक्स करके ,अपनी मर्दानगी साबित करें !नहीं तो प्रधानमंत्री पद से त्याग -पत्र दें!
       मोदी जी के समर्थन में और इस ब्यान के जवाब में ,मैनें प्रियंका से मुँह-तोड़ सवाल पूछ डालें ,जिनका कि आज तक प्रियंका ने कोई जवाब नहीं दिया!




पूछे गए मुँह -तोड़ प्रश्न !

     प्रियंका चतुर्वेदी जी ,आपको कैसे पता चला कि मोदी जी नामर्द है ? आपने सनसनी क्यों फैलाई ?इसके लिए आपने  प्रतिष्ठित मोदी जी को ही क्यों चुना ?संविधान में ,भारत का हर व्यक्ति ,चाहे वो पुरुष,स्त्री ,नपुंसक /नामर्द हो ,प्रधानमंत्री बन सकता है !अपनी मर्दानगी साबित ही ,क्यों करें मोदी जी ?और आपके साथ ही क्यों?उनके सम्भोग का प्रधानमंत्री-पद से क्या लेना -देना?क्या आप भारतीय -परम्पराओं का अपमान नहीं कर रही हैं ?क्या आपने ये सब कह कर, भारतीय- नारी की मर्यादा को नहीं लांघा है?कहीं ऐसा तो नहीं ,आप सत्ता -संपन्न मोदी जी के साथ सम्भोग करके,उन्हें अपना दास बनाके ,देश पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहती है ?प्रधानमंत्री -पद जैसे सम्मानित पद को अपमानित करने वाले ,इंसान पर ,क्या देशद्रोह का मुक़द्द्मा चलाकर ,उसे देश से बाहर नहीं निकाल देना चाहिए ?
       मैंने आगे प्रियंका चतुर्वेदी से यह भी पूछा कि इस स्वांग के पीछे का मकसद, पूरे देश को समझाइये ! सोशल -मीडिया पर आपको जो गंदे -गंदे कमैंट्स मिल रहे है ,उसमें सम्मानित पार्टी कॉग्रेस ,देश और आपकी ,क्या शान है?ये भी देश को बताइये !


-चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा 
https://www.youtube.com/watch?v=B0YAOkRlqHo&t=13s&fbclid=IwAR35oAyFjXlgi9hR-T6N73KxwHaH-mLgdVOI93YOTX1d6G-Ft5KU2ocN6Ws






Tuesday, May 26, 2020

क्या कॉमेडी -किंग स्व. जसपाल भट्टी ,भगवान विष्णु के अवतार थे ? # "बर्बाद इंडिया" न्यूज़/मनोज बत्तरा (चीफ एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


   नेशनल अवार्डी ,पदम्-भूषण ,महान शिक्षा -विद ,कॉमेडी को "गंभीर व्यवसाय "समझने वाले ,कॉमेडी -किंग,स्वर्गीय सरदार जसपाल जी भट्टी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं !गॉड गिफ्टिड अपनी बेमिसाल ''रचनात्मकता'' के कारण ,वे सदियों तक याद किये जाते रहेंगें!
   उनके हास्य-व्यंग्य -कटाक्ष के पीछे ,गरीबों के प्रति दर्द ,वेदना और दया तो छिपी ही थी ,बल्कि वे सिस्टम से बेहद खफ़ा थे!कहीं न कहीं उनमें परिवर्तन की चाहत थी !जितना मैंने उनको समझा हैं ,वे क्रांति लाना चाहते थे !
   जो लोग उनकी ''रचनात्मकता'' से झकझोरे गए ,प्रेरित हुए ,वे आज भट्टी सर को अपना आदर्श मानते है और उनके पद -चिन्हों पर ,चलने की कोशिश कर रहे है !उनकी धर्म -पत्नी श्रीमती सविता जी भट्टी (अग्रणीय समाज -सेविका ),आज भी भट्टी सर के द्वारा छोड़ी गयी ,विरासत को, एक सहृदय माँ की तरह पोषित कर रहीं हैं !
   मुझे आज भी धारावाहिक "रामायण "और भट्टी सर के धारावाहिक "उल्टा-पुल्टा "आदि के बिना दूरदर्शन अधूरा लगता है !तभी दूरदर्शन बार -बार इनके प्रसारण करता हैं!
   और आपका ये पत्रकार मित्र "बर्बाद इंडिया" का कांसेप्ट ,भट्टी सर से प्रेरित होकर ही ,लेकर आया है !"बर्बाद इंडिया "भट्टी सर को ही समर्पित है !

स्वर्गीय जसपाल भट्टी, भगवान् विष्णु के अवतार : मेरे अंतर्मन के विचार!



   भट्टी दंपत्ति का उक्त ,दुर्लभ,एक पुराना चित्र देखकर, मुझे ऐसा लगा ,जैसे क्षीर-सागर में ,शेषनाग पर विराजमान, भगवान् विष्णु जी की,लक्ष्मी जी चरण-वन्दना कर रही हो !
   बिल्कुल सच ही तो है दोस्तों!मेरे अंतर्मन के विचार से , हास्य-व्यंग्य और कटाक्ष के जरिए ,भट्टी सर ने ,विष्णु बनकर ही तो, भ्र्ष्टाचार पर अपना सुदर्शन चलाया था!
   विष्णु के शंख-नाद/ध्वनि की तरह ही तो ,उन्होंने देश में ,भ्र्ष्टाचार के खिलाफ "नाद "किया था !"हल्ला "बोला था!
   विष्णु के दंडस्वरूप "गदा" की तरह ही तो ,उन्होंने भ्र्ष्टाचारियों को डराया ही तो था !
   विष्णु की नाभि से उगे कमल -पुष्प के सन्देश को भट्टी सर ने ,ऐसा लगता है ,उन्होंने अपना रखा था !अर्थात भट्टी सर संसार में रहते हुए भी ,उसमे पूरी तरह लिप्त नहीं थे!वे विष्णु ही तो थे !

Vishnu Aarti, Bhajan, Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics In Hindi ...

उनकी सादगी ही, उनकी तपस्या!

   मुझे आज भी ख्यालों में ,एक छोटे -से रूम /झोपड़ी में बैठकर ,आस-पास बिखरी अखबारों व मैगजीन्स के साथ ,लुंगी और बनियान में , लेखन करते भट्टी सर नज़र आते है !उनकी सादगी ही उनकी तपस्या थी !
   ऐसी विलक्षण, दिव्य -आत्मा को मेरा शत -शत नमन और "बर्बाद इंडिया "के रूप में सच्ची श्रद्धांजलि !

-चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा 
https://www.youtube.com/watch?v=B0YAOkRlqHo&t=13s&fbclid=IwAR35oAyFjXlgi9hR-T6N73KxwHaH-mLgdVOI93YOTX1d6G-Ft5KU2ocN6Ws

Friday, May 8, 2020

"मनोज बत्तरा की फटती है !आपकी भी फटनी चाहिये!कोरोना से डर अच्छा है !"# "बर्बाद इंडिया" न्यूज़/मनोज बत्तरा (चीफ एडिटर)

लॉक डाउन के नियमों का पालन न करने वाले नासमझ ,लापरवाह और गैर जिम्मेदार लोगों की आत्मा को झकझोरने के लिए ,प्रयोगवादी और प्रगतिवादी विचारक आचार्य मनोज बत्तरा ने अपनी फेस -बुक अकाउंट पर,ऐसे लोगों को सन्देश देने के लिए ,देखिये अपनी प्रोफाइल पर ये क्या लिख डाला ! लोगों को समझाने के लिए,उनके तर्कों ने सबको हैरान कर दिया ! पढ़िए !आचार्य मनोज बत्तरा के, इस जबरदस्त मानवतावादी लेख को!

-देशभक्त ईश्वर आज़ाद !


सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से! 

   मेरी उकत शीर्षक- प्रोफाइल,फेस- बुक अकाउंट पर देखकर, बहुत सारे लोग हैरान हो गए!,कि बत्रा साहब ने ,ये क्या लिख दिया !वे तो स्वयं को विचारक,दार्शनिक और नवीन विश्व के स्वप्न -दर्ष्टा बताते है ! समझदार पत्रकार ,समाज -सेवक और एक सुलझे हुए इंसान है !आखिर उनका अमर्यादित व्यवहार क्यों ?


'फटने 'जैसे शब्द व्यावहारिक भाषा का हिस्सा ! 

   दरअसल, 'किसी की फटना'आम बोल-चाल की भाषा का मुहावरा /लोकोक्ति है।ये उस समय अक्सर प्रयोग में लाया जाता है,जब हम बेहद गंभीर और विकट परिस्तिथियों में ,बेहद फंसे और डरे होते है !मज़ाक या हास्य में भी कहा जाता है कि 'यार ,फट गई मेरी तो!'व गाली और अपशब्द के रूप में भी कहा जाता है कि 'फाड़ दूंगा तेरी,साले!'

फटना क्या है!किसकी फटती है!क्या फटता है!-वैज्ञानिक -शोध का विषय !!!

   आखिर ये 'फटना 'है क्या ?किसकी फटती है?क्या फटता है इंसान का?कभी सोचा है गहराई से, आपने ?.... सूक्ष्म -रूप से इस विषय में विचार करें, तो मानव-शरीर के उस विशेष उत्सर्जन -अंग (गुदाANUS /पिछवाड़ा )के फटने (बल्लाकिंग /जल-बुझ /फड़फड़ाना )के पीछे हमारा मन है!,मन जोकि बेहद गंभीर और विकट परिस्तिथियों में बेहद फँसा  और डरा  होता है!शायद मन की कल्पनाओ में ये बेहद गंभीर और विकट परिस्तिथिया नहीं होती !मन को लगता है कि जैसे साक्षात् मौत सामने खड़ी  है !जैसे कोई भूत सामने आ गया हो !वह बर्बाद हो जायेगा !मर जायेगा !वास्तव में ,ये सब मन की स्वाभाविक व जैविक -क्रिया है। घबराहट में इंसान का मन ,स्वयं को बचाने की भी कोशिश करता है !
   गुदा की फड़फड़ाहट /फटना ,वैज्ञानिक -शोध का विषय है !



फाड़ने'को लेकर कुछ रोचक तथ्य !

   भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र की एक विशेषता ये भी थी, कि वे पापी व्यक्ति के अहम् को चरम सीमा तक ले जाते थे ,या स्वयं बढ़ने देते थे!और अंतत अपने सुदर्शन से ,उसके प्राण हर लेते थे!यानी वे कृष्ण भी पापियों की फाड़ते थे !


  
   बात हास्य की करें ,तो फटती तो दूध की भी है!मुझे आज तक समझ नहीं आया ,कि बेचारे का कसूर क्या रहता है !ये बात दूसरी है कि फटा हुआ दूध त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद हैं !प्रोटीन का स्रोत है !इसके पानी में बनी रोटी और सब्ज़ी का स्वाद बढ़ जाता है!




   आज का मनुष्य प्रकृति से दूरी बनाकर ,जटिलताओं की ओर बढ़ रहा है !धन ,लिप्सा,हवस ,अहम ,लोभ,पर्यावरण को हानि ,प्रकृति से छेड़छाड़ आदि उसे पतन की ओर ले जा रहे है! एक -दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में, वह अपना वास्तविक स्वरुप भूल गया है !
  गीता में भी लिखा है ,जब -जब धर्म की हानि होगी ,तब -तब मैं (भगवान् )अवतार लूंगा और पाप का नाश करूँगा !यानि कुदरत पापियों की अवश्य फाड़ती है !






  
   अब रही बात वैश्विक -संकट "कोरोना "की तो ,कह सकते है कि यह चीन की साम्राज्यवादी नीति की देन है !विनाश के लिए विज्ञान का दुरूपयोग, कहाँ की समझदारी है !कुदरत से खिलवाड़ !कुदरत क्रोधित है !मानव -जाति का अस्तित्व खतरे में आ गया !इस सबके पीछे कहीं न कहीं कुदरत हमे सन्देश देना चाहती है, कि मैं ही सर्वेश्रेष्ठ और शक्तिमान हूँ,तू अब अपना अहम नीचे ला ,नहीं तो तेरी मानव !मैं फाड़ती रहूंगी !!
  
उक्त शीर्षक-वाक्य मेरा आक्रोश ! 

     उक्त शीर्षक- वाक्य मेरे भीतर का आक्रोश है,उनके  लिए ,जो बेहद नासमझ ,लापरवाह और गैर -जिम्मेदाराना व्यवहार कर,लॉक डाउन के नियमो का पालन नहीं कर रहे है!
  वैश्विक कोरोना -संकट से निपटने के लिए ,भारत सरकार भी करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा रही है!अर्थव्यवस्था पहले से अधिक चरमरा गई है !सामान्य जन-जीवन अस्त -व्यस्त हो गया है !

इस लापरवाही के पीछे लोगों की सोच !

    लोगों  की इस लापरवाही के पीछे, 2 बड़े कारण तो देखिये !मुझे कुछ ऐसे लोग भी मिले,जो ये समझते थे,कि जीवन-मरण तो ईश्वर के हाथों में होता है। कुछ ने कहा कि  कोरोना से तो बाद में मरेंगे ,पहले मोदी भूखा मार देगा !



इस दूसरे कारण में, एक बात अच्छी है कि इन्हें  पता है कि कोरोना से मर सकते है !

क्या मोदी जी ने,आपको बॉर्डर पर जंग लड़ने को कहा है ?

     ऐसे गैर जिम्मेदार लोग ये नहीं समझते कि लोगो में सामाजिक दूरी ,स्वच्छता-नियम ,मास्क पहनना ,इम्यूनिटी बढ़ाना आदि ही  विश्व -प्रसिद्ध, सबसे शक्तिशाली कोरोना की महामारी के,(इसकी वैक्सीन /दवा के आभाव में )रोकथाम के वैकल्पिक उपाय है !अरे , क्या मोदी जी ने आपको बॉर्डर पर जंग लड़ने को कहा है ?




विश्व में मौत के अनंत महाताण्डव से हम सबकी फटेगी!

    ऐसे लोगो की अजागरुकता ,लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना जिद्द ,विश्व में मौत का अनंत महाताण्डव मचा सकती है !विश्व खत्म हो सकता है!शायद नास्त्रेदमस ने सन 2020 में , दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणी की थी!
     विश्व में चारो तरफ ,हर प्रकार की महामारी फैलने का खतरा होगा!तब?तब फटेगी न ?मेरी,तुम्हारी,और हम सबकी ! फिर क्या होगा?घर में दुबककर बैठेगें न ! या फिर जीवित बचे,तो घर,मोहल्ला ,गांव,क़स्बा,,महानगर सब छोड़कर विशाल हिमालय की वादियों में एकांतवास (आइसोलेशन)ले लेंगे !तब  आदिकाल -पाषाणकाल वापिस लौट आएगा!फिर नंगे घूमना,गुफाओं  में रहना,फल ,कंद -मूल खाना!



कल्याण-भावनाओं के साथ ,थोड़ी -सी प्रचलित मर्यादा का अतिक्रमण !

     तो भैया जी, स्वयं के उच्च -मानवीय गुणों -प्रेम ,श्रद्धा ,भक्ति ,ईमानदारी ,देश-भक्ति ,परोपकार ,इंसानियत ,कल्याण -भावना आदि के रहते ,सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए ,मैंने थोड़ा -सी  प्रचलित मर्यादा का अतिक्रमण कर लिया ,तो इसमें बुराई ही क्या है!लोग तो माँ-बहन की गलियां देकर ,मर्यादा से बाहर चले जाते है!और भूल जाते है कि वे जगत -जननी नारी का
अपमान कर रहे है !
     मैं तो फिर भी मन की एक स्वाभाविक और जैविक- क्रिया (गुदा का फटना /फड़फड़ाना )की ओर ध्यान आकृष्ट कर,इंसानियत की रक्षा  लिए ,मानवता को झकझोरते हुए , नवीन विचार विकसित कर रहा हूं !एक प्रयोगवादी और प्रगतिवादी विचारक का यही तो काम होता है!फिर मुझे तो गन्दी गाली ,अपशब्द और फूहड़ हास्य के  बिना, स्वाभाविक और जैविक, गुदा के फड़फड़ाने की क्रिया, अमर्यादित नहीं लगती!मेरा अमर्यादित व्यवहार, कहना न्यायोचित नहीं हैं !फिर प्रबुद्ध विद्वानों वाला सेंसर बोर्ड भी 'फटने 'जैसे शब्दों व 'पाद मारने 'जैसे चित्रण पर, अपनी कैंची नहीं चलाता !कहीं न कहीं वो भी इनको स्वाभाविक और जैविक क्रिया मानता है !
   अरे ,मुझ जैसे विचारक ही समाज को दिशा नहीं देंगें ,तो कौन देगा? जय हिन्द!

चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा

https://www.youtube.com/watch?v=B0YAOkRlqHo&t=13s&fbclid=IwAR35oAyFjXlgi9hR-T6N73KxwHaH-mLgdVOI93YOTX1d6G-Ft5KU2ocN6Ws